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मा॒याभि॑रु॒त्सिसृ॑प्सत॒ इन्द्र॒ द्यामा॒रुरु॑क्षतः । अव॒ दस्यूँ॑रधूनुथाः ॥

English Transliteration

māyābhir utsisṛpsata indra dyām ārurukṣataḥ | ava dasyūm̐r adhūnuthāḥ ||

Pad Path

मा॒याभिः॑ । उ॒त्ऽसिसृ॑प्सतः । इन्द्र॑ । द्याम् । आ॒ऽरुरु॑क्षतः । अव॑ । दस्यू॑न् । अ॒धू॒नु॒थाः॒ ॥ ८.१४.१४

Rigveda » Mandal:8» Sukta:14» Mantra:14 | Ashtak:6» Adhyay:1» Varga:16» Mantra:4 | Mandal:8» Anuvak:3» Mantra:14


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SHIV SHANKAR SHARMA

ईश्वर की महिमा की स्तुति दिखलाते हैं।

Word-Meaning: - (इन्द्र) हे इन्द्र ! (मायाभिः) माया के साथ (उत्सिसृप्सतः) विचरते हुए (दस्यून्) चौरादिगण (द्याम्+आरुरुक्षतः) यदि परम उच्चस्थान को भी प्राप्त कर गए हैं, तो वहाँ से भी उनको तू (अव+अधूनुथाः) नीचे गिरा देता है ॥१४॥
Connotation: - वह परमदेव अतिबलिष्ठ पापियों को भी अपने स्थान से गिरा देता है, अतः हे मनुष्यों ! तुम पापों से दूर रहो ॥१४॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (इन्द्र) हे योद्धा ! आप (मायाभिः, उत्सिसृप्सतः) छल से उत्सर्पण करनेवाले (द्याम्, आरुरुक्षतः) अन्तरिक्ष में आरोहण की इच्छा करनेवाले (दस्यून्) स्तेनों को (अवाधूनुथाः) नीचे गिराकर भयभीत कर देते हैं ॥१४॥
Connotation: - भाव यह है कि उपर्युक्त धनुर्विद्यावेत्ता राष्ट्रपति छल से युद्ध करनेवाले तथा व्योमयानादि द्वारा आकाश में युद्ध करनेवाले अन्यायी शत्रुओं को भी पराङ्मुख करके विजय को प्राप्त होता है, अतएव राष्ट्रपति के लिये धनुर्विद्या में कुशल होना परमावश्यक है ॥१४॥
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SHIV SHANKAR SHARMA

महिम्नः स्तुतिं दर्शयति।

Word-Meaning: - हे इन्द्र ! त्वम्। मायाभिः=कपटैः सह। उत्सिसृप्सतः=विचरतः। पुनः। द्याम्=ज्ञानप्रकाशम् अवरुध्य। आरुरुक्षतः=वर्द्धमानान्। यद्वा। द्यामुपरितनस्थानम्। आरुरुक्षतः=आरूढानपि। दस्यून्=चोरादीन्। अवाधूनुथाः=अधः पातयसि। तव निकटे पापं न तिष्ठतीत्यर्थः ॥१४॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (इन्द्र) हे इन्द्र ! (मायाभिः, उत्सिसृप्सतः) छलैः उद्भ्राम्यतः (द्याम्, आरुरुक्षतः) अन्तरिक्षमारोढुमिच्छतः (दस्यून्) स्तेनान् (अवाधूनुथाः) पातयसि ॥१४॥