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तम॑ह्वे॒ वाज॑सातय॒ इन्द्रं॒ भरा॑य शु॒ष्मिण॑म् । भवा॑ नः सु॒म्ने अन्त॑म॒: सखा॑ वृ॒धे ॥

English Transliteration

tam ahve vājasātaya indram bharāya śuṣmiṇam | bhavā naḥ sumne antamaḥ sakhā vṛdhe ||

Pad Path

तम् । अ॒ह्वे॒ । वाज॑ऽसातये । इन्द्र॑म् । भरा॑य । शु॒ष्मिण॑म् । भव॑ । नः॒ । सु॒म्ने । अन्त॑मः । सखा॑ । वृ॒धे ॥ ८.१३.३

Rigveda » Mandal:8» Sukta:13» Mantra:3 | Ashtak:6» Adhyay:1» Varga:7» Mantra:3 | Mandal:8» Anuvak:3» Mantra:3


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SHIV SHANKAR SHARMA

ईश्वर की स्तुति करते हैं।

Word-Meaning: - (तम्) उस सुप्रसिद्ध (शुष्मिणम्) महाबलिष्ठ (इन्द्रम्) जगद्द्रष्टा ईश्वर का (वाजसातये) विज्ञानधनप्रापक=विज्ञानप्रद (भराय) यज्ञ के लिये (अह्वे) आवाहन करता हूँ। वह इन्द्र (नः) हमारे (सुम्ने) सुख में (अन्तमः) समीपी होवे और (वृधे) वृद्धि के लिये (सखा) मित्र होवे ॥३॥
Connotation: - वही ईश्वर धनद और विज्ञानद है, ऐसा मानकर उसकी उपासना करो ॥३॥
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ARYAMUNI

अब सर्वोत्कृष्ट परमात्मा का यज्ञादि कर्मों में आह्वान करना कथन करते हैं।

Word-Meaning: - (शुष्मिणम्) प्रशस्त बलवाले (तम्, इन्द्रम्) उस परमात्मा को (वाजसातये) बलोत्पादक (भराय) यज्ञ की पूर्त्ति के लिये (अह्वे) आह्वान करता हूँ। हे परमात्मन् ! (नः, सुम्ने) हमारे सुख के उत्पादक कार्य में (अन्तमः) संनिकृष्ट हों (वृधे) वृद्धि-निमित्त कार्य्य में (सखा) मित्रसदृश (भव) हों ॥३॥
Connotation: - याज्ञिक पुरुषों की ओर से कथन है कि हे सर्वरक्षक तथा सब बलों के उत्पादक परमात्मन् ! हम लोग यज्ञपूर्ति के लिये आपका आह्वान करते अर्थात् आपकी सहायता चाहते हैं। कृपा करके हमारे सुखोत्पादक कार्य्यों में सहायक हों, या यों कहो कि हम लोगों को मित्र की दृष्टि से देखें, ताकि हमारे यज्ञादि कार्य्य सफलता को प्राप्त हों और हम उन्नतिशील होकर आपकी उपासना में प्रवृत्त रहें ॥३॥
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SHIV SHANKAR SHARMA

ईश्वरः स्तूयते।

Word-Meaning: - तम्=सुप्रसिद्धतमम्=शुष्मिणम्=महाबलिष्ठमिन्द्रम्। वाजसातये= वाजानां धनानां विज्ञानानां च सातिर्लाभो येन तस्मै। भराय=यज्ञाय। भ्रियन्ते पोष्यन्ते जीवा येन स भरो यज्ञः। अह्वे=आह्वये=प्रार्थये। “लिपिसिचिह्वश्चात्मनेपदेष्वन्यतरस्यामिति ह्वयतेश्छान्दसो लङि च्लेरङादेशः”। हे इन्द्र ! त्वम्। नोऽस्माकम्। सुम्ने=सुखे धने वा। अन्तमः=अन्तिकतमः सन्निकृष्टतमो भव “तमे तादेश्चेत्यन्तिकशब्दस्य तादिलोपः” अपि च। वृधे=वृद्ध्यै पदार्थानाम्। सखा=मित्रभूतो भव। यथा सखा वृद्ध्यै प्रयतते तद्वदित्यर्थः ॥३॥
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ARYAMUNI

अथ परमात्मन आह्वानं वर्ण्यते।

Word-Meaning: - (शुष्मिणम्) बलवन्तम् (तम्, इन्द्रम्) तं परमात्मानम् (वाजसातये) बलोत्पादके कर्मणि (भराय) यज्ञसिद्धये (अह्वे) आह्वये। हे परमात्मन् ! (नः) अस्माकम् (सुम्ने) सुखे (अन्तमः) समीपतमः (वृधे) वृद्ध्यै (सखा) मित्रम् (भव) भूयाः ॥३॥