Go To Mantra

इन्द्रं॑ वर्धन्तु नो॒ गिर॒ इन्द्रं॑ सु॒तास॒ इन्द॑वः । इन्द्रे॑ ह॒विष्म॑ती॒र्विशो॑ अराणिषुः ॥

English Transliteration

indraṁ vardhantu no gira indraṁ sutāsa indavaḥ | indre haviṣmatīr viśo arāṇiṣuḥ ||

Pad Path

इन्द्र॑म् । व॒र्ध॒न्तु॒ । नः॒ । गिरः॑ । इन्द्र॑म् । सु॒तासः॑ । इन्द॑वः । इन्द्रे॑ । ह॒विष्म॑तीः । विशः॑ । अ॒रा॒णि॒षुः॒ ॥ ८.१३.१६

Rigveda » Mandal:8» Sukta:13» Mantra:16 | Ashtak:6» Adhyay:1» Varga:10» Mantra:1 | Mandal:8» Anuvak:3» Mantra:16


Reads times

SHIV SHANKAR SHARMA

इससे उसी की प्रार्थना करते हैं।

Word-Meaning: - हे मनुष्यों ! (नः) हमारे (गिरः) स्तुतिरूप वचन (इन्द्रम्) ईश्वर के गुणगान में (वर्धन्तु) बढ़ें। यद्वा ईश्वर के ही यशों को बढ़ावें और (सुतासः) हमारे सम्पादित=उपार्जित (इन्दवः) उत्तम-२ पदार्थ (इन्द्रम्) भगवान् को ही लक्ष्य कर बढ़ें या भगवान् के ही यश को बढ़ावें। (हविष्मतीः) पूजावती (विशः) समस्त प्रजाएँ (इन्द्रे) भगवान् में (अराणिषुः) आनन्दित होओ ॥१६॥
Connotation: - हे मनुष्यों ! तुम्हारे वचन कर्म और शरीर भी ईश्वर के यशों को बढ़ावें और तुम स्वयं उसकी आज्ञा में आनन्दित होओ ॥१६॥
Reads times

ARYAMUNI

Word-Meaning: - (इन्द्रम्) उस परमात्मा को (नः, गिरः) हमारी स्तुतिवाक् (वर्धन्तु) बढ़ाएँ (सुतासः) सिद्ध किये हुए (इन्दवः) दिव्य पदार्थ (इन्द्रम्) परमात्मा को बढ़ाएँ (हविष्मतीः, विशः) ऐश्वर्य्ययुक्त सब प्रजाएँ (इन्द्रे) उसी परमात्मा के उदर में (अराणिषुः) क्रीडा कर रही हैं ॥१६॥
Connotation: - हे सम्पूर्ण दिव्य पदार्थों के स्वामी परमेश्वर ! आपके दिये हुए दिव्य पदार्थों से सुभूषित हुए हम लोग स्तुतियों द्वारा आपकी महिमा का विस्तार करें। ये दिव्य पदार्थ आपके महत्त्व को बढ़ाएँ और हे ऐश्वर्य्यसम्पन्न ! यह सब प्रजाएँ आपसे सुरक्षित हुई आप ही में क्रीड़ा कर रही हैं, क्योंकि यह विश्व आपका उदरस्थानीय है ॥१६॥
Reads times

SHIV SHANKAR SHARMA

तमेव प्रार्थयते।

Word-Meaning: - हे मनुष्याः। नोऽस्माकम्। गिरः=स्तुतिरूपा वाचः। इन्द्रमेव लक्षीकृत्य। वर्धन्तु=वर्धन्ताम्। यद्वा। इन्द्रस्यैव यशो वर्धयन्ताम्। अस्माकं सुतासः=सुताः सम्पादिता उपार्जिताः। इन्दवः=उत्तमाः पदार्था अपि। इन्द्रमेव लक्षयित्वा वर्धन्ताम्। अपि च। सर्वा हविष्मतीः=पूजावत्यः। विशः=प्रजाः। इन्द्रे=परमात्मन्येव। अराणिषुः=रमन्ताम्=ईश्वरे निमग्ना भवन्तु ॥१६॥
Reads times

ARYAMUNI

Word-Meaning: - (इन्द्रम्) परमात्मानम् (नः, गिरः) अस्माकं वाचः (वर्धन्तु) वर्धयन्तु (सुतासः) सिद्धाः (इन्दवः) दिव्यपदार्थाः (इन्द्रम्) तं वर्धयन्तु (हविष्मतीः, विशः) ऐश्वर्यप्राप्तप्रजाः (इन्द्रे) तस्यैवोदरे (अराणिषुः) क्रीडन्ति ॥१६॥