Go To Mantra

पु॒रु॒त्रा हि स॒दृङ्ङसि॒ विशो॒ विश्वा॒ अनु॑ प्र॒भुः । स॒मत्सु॑ त्वा हवामहे ॥

English Transliteration

purutrā hi sadṛṅṅ asi viśo viśvā anu prabhuḥ | samatsu tvā havāmahe ||

Pad Path

पु॒रु॒ऽत्रा । हि । स॒ऽदृङ् । असि॑ । विशः॑ । विश्वाः॑ । अनु॑ । प्र॒ऽभुः । स॒मत्ऽसु॑ । त्वा॒ । ह॒वा॒म॒हे॒ ॥ ८.११.८

Rigveda » Mandal:8» Sukta:11» Mantra:8 | Ashtak:5» Adhyay:8» Varga:36» Mantra:3 | Mandal:8» Anuvak:2» Mantra:8


Reads times

SHIV SHANKAR SHARMA

ईश्वर की स्तुति।

Word-Meaning: - हे परमात्मन् ! तू (हि) जिस कारण (पुरुत्रा) बहुतों अर्थात् सर्वत्र (सदृङ्+असि) समान ही है और (विश्वाः) समस्त (विशः+अनु) प्रजाओं का (प्रभुः) शासक है अर्थात् समस्त प्रजाओं का तू ही शासक भी है, अतः हम उपासकगण (त्वा) तुझे (समत्सु) अपने-अपने आनन्दप्रद हृदय में और संग्रामों में (हवामहे) बुलाते और स्तुति करते हैं ॥८॥
Connotation: - हे मनुष्यों ! परमात्मा सर्वत्र सम है और सबका शासक है, यह प्रतीत करो और उसी को इस कारण हृदय में ध्यान करो और संकटों में बुलाओ ॥८॥
Reads times

ARYAMUNI

Word-Meaning: - हे परमात्मन् ! (पुरुत्रा, हि) आप सर्वत्र ही (सदृङ्, असि) समान द्रष्टा हैं (विश्वाः, विशः) इससे सब प्रजाओं के (अनु) प्रति (प्रभुः) प्रभु हो रहे हैं (त्वा) इससे आपको (समत्सु) संग्रामों में (हवामहे) आह्वान करते हैं ॥८॥
Connotation: - हे परमेश्वर ! आप सर्वत्र समानरूप से विद्यमान होने के कारण सर्वद्रष्टा होने से सबके प्रभु=स्वामी हैं, इसी से क्षात्रधर्म में प्रवृत्त योद्धा लोग युद्ध में आपका आश्रयण करते हैं ॥८॥
Reads times

SHIV SHANKAR SHARMA

ईश्वरस्तुतिः।

Word-Meaning: - हे अग्ने ! हि=यस्मात्। त्वं पुरुत्रा=बहुषु=सर्वेषु स्थानेषु। सदृङ्=समानः। असि। पुनः। विश्वाः=सर्वाः। विशः=प्रजाः। अनु=अनुलक्ष्य। प्रभुः=शासको भवसि। सर्वासां प्रजानां त्वमेव शासकोऽसि। अतः। समत्सु=आनन्दप्रदेषु हृदयेषु। त्वा=त्वाम्। हवामहे=आह्वयामः=स्तुमश्च ॥८॥
Reads times

ARYAMUNI

Word-Meaning: - हे परमात्मन् ! (पुरुत्रा, हि) सर्वत्र हि (सदृङ्) समानद्रष्टा (असि) भवसि अतः (विश्वाः) सर्वाः (विशः) प्रजाः (अनु) प्रति (प्रभुः) प्रभुर्भवसि (त्वा, समत्सु, हवामहे) अतस्त्वां संग्रामेषु आह्वयामः ॥८॥