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यद॒न्तरि॑क्षे॒ पत॑थः पुरुभुजा॒ यद्वे॒मे रोद॑सी॒ अनु॑ । यद्वा॑ स्व॒धाभि॑रधि॒तिष्ठ॑थो॒ रथ॒मत॒ आ या॑तमश्विना ॥

English Transliteration

yad antarikṣe patathaḥ purubhujā yad veme rodasī anu | yad vā svadhābhir adhitiṣṭhatho ratham ata ā yātam aśvinā ||

Pad Path

यत् । अ॒न्तरि॑क्षे । पत॑थः । पु॒रु॒ऽभु॒जा॒ । यत् । वा॒ । इ॒मे इति॑ । रोद॑सी॒ इति॑ । अनु॑ । यत् । वा॒ । स्व॒धाभिः॑ । अ॒धि॒ऽतिष्ठ॑थः । रथ॑म् । अतः॑ । आ । या॒त॒म् । अ॒श्वि॒ना॒ ॥ ८.१०.६

Rigveda » Mandal:8» Sukta:10» Mantra:6 | Ashtak:5» Adhyay:8» Varga:34» Mantra:6 | Mandal:8» Anuvak:2» Mantra:6


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SHIV SHANKAR SHARMA

राजा का कर्तव्य कहते हैं।

Word-Meaning: - (पुरुभुजा) हे बहुतों को भोजन देने और पालन करनेवाले राजा तथा अमात्यादिवर्ग ! आप दोनों विमान आदि यान पर चढ़कर (यद्) यदि इस समय (अन्तरिक्षे) आकाश में (पतथः) जाते हों (यद्वा) यदि वा (इमे+रोदसी) इस द्युलोक और पृथिवीलोक के (अनु) अनुसन्धान में कहीं हों। (यद्वा) यद्वा (स्वधाभिः) निजस्वभावों से (रथम्) रथ के ऊपर (अधितिष्ठथः) बैठे हुए हों। (अतः) उन सब स्थानों से (अश्विना) हे राजा और अमात्यादिवर्ग (आ+यातम्) यहाँ प्रजारक्षार्थ आवें ॥६॥
Connotation: - अपनी क्रीड़ा और आनन्द को छोड़कर राजा सदा प्रजारक्षण में तत्पर हों ॥६॥
Footnote: यह अष्टम मण्डल का दशवाँ सूक्त और चौतीसवाँ वर्ग समाप्त हुआ ॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (पुरुभुजा, अश्विना) हे बहुत पदार्थों के भोगी सेनापति सभाध्यक्ष ! (यत्, अन्तरिक्षे) यदि अन्तरिक्ष में (पतथः) गये हों (यद्वा) अथवा (इमे, रोदसी, अनु) इस द्युलोक, पृथिवीलोक में हों (यद्वा, स्वधाभिः) अथवा स्तुतियों के साथ (रथम्, अधितिष्ठथः) रथ पर बैठे हों (अतः, आयातम्) तो भी इस यज्ञसदन में आएँ ॥६॥
Connotation: - हे अनेक पदार्थों के भोक्ता श्रीमान् सभाध्यक्ष तथा सेनाध्यक्ष ! आप उक्त स्थानों में हों अथवा अन्यत्र राष्ट्रिय कार्य्यों में प्रवृत्त होने पर भी हमारे यज्ञ को प्राप्त होकर पूर्णाहुति द्वारा सम्पूर्ण याज्ञिक कार्यों को पूर्ण करें ॥६॥ यह दसवाँ सूक्त और चौतीसवाँ वर्ग समाप्त हुआ ॥
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SHIV SHANKAR SHARMA

राजकर्त्तव्यमाह।

Word-Meaning: - हे पुरुभुजा=पुरूणां बहूनां प्राणिनां भोजयितारौ पालयितारौ च। यद्=यदि। इदानीं विमानमारुह्य। अन्तरिक्षे=आकाशे। पतथः=गच्छथः। यद्वा=यदि वा। रोदसी=द्यावापृथिव्यौ अनुलक्ष्य गच्छथः। यद्वा। स्वधाभिः=स्वस्वभावैः सह। रथमधितिष्ठथः=रथे उपविशथः। अधिशीङ्स्थासामित्याधारस्य कर्मसंज्ञा अतः अस्मात् स्थानात् हे अश्विनौ आयातमागच्छतम्। प्रजारक्षार्थम् ॥६॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (पुरुभुजा, अश्विना) हे बहुभोगिनौ सेनापतिसभाध्यक्षौ ! (अन्तरिक्षे, यत्, पतथः) यदि अन्तरिक्षलोके गतौ भवेतम् (यद्वा) अथवा (इमे, रोदसी, अनु) द्यावापृथिव्योः अनयोः स्यातम् (यद्वा) अथवा (स्वधाभिः) स्तुतिभिः (रथम्, अधितिष्ठथः) रथमारोहेतम् (अतः, आयातम्) अत्र आगच्छतम् ॥६॥ इति दशमं सूक्तं चतुस्त्रिंशो वर्गश्च समाप्तः ॥