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एका॑चेत॒त्सर॑स्वती न॒दीनां॒ शुचि॑र्य॒ती गि॒रिभ्य॒ आ स॑मु॒द्रात् । रा॒यश्चेत॑न्ती॒ भुव॑नस्य॒ भूरे॑र्घृ॒तं पयो॑ दुदुहे॒ नाहु॑षाय ॥

English Transliteration

ekācetat sarasvatī nadīnāṁ śucir yatī giribhya ā samudrāt | rāyaś cetantī bhuvanasya bhūrer ghṛtam payo duduhe nāhuṣāya ||

Pad Path

एका॑ । अ॒चे॒त॒त् । सर॑स्वती । न॒दीना॑म् । शुचिः॑ । य॒ती । गि॒रिऽभ्यः॑ । आ । स॒मु॒द्रात् । रा॒यः । चेत॑न्ती । भुव॑नस्य । भूरेः॑ । घृ॒तम् । पयः॑ । दु॒दु॒हे॒ । नाहु॑षाय ॥ ७.९५.२

Rigveda » Mandal:7» Sukta:95» Mantra:2 | Ashtak:5» Adhyay:6» Varga:19» Mantra:2 | Mandal:7» Anuvak:6» Mantra:2


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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (नदीनाम्) इन भौतिक नदियों के मध्य में (एका) एक ने (सरस्वती, अचेतत्) सरस्वतीरूप से सत्ता को लाभ किया, अर्थात् “सरांसि सन्ति यस्याः सा सरस्वती” जिस में बहुत सी क्षुद्र नदियाँ मिलें, उसका नाम सरस्वती है और जो (गिरिभ्यः) हिमालय से निकल कर (आ, समुद्रात्) समुद्र तक जाती है, वह सरस्वती (रायः, चेतन्ती) धन को देनेवाली है, (शुचिः, यती) पवित्ररूप से बहती है और वह (भुवनस्य) सांसारिक (नाहुषाय) मनुष्यों को (भूरेः) बहुत (घृतं) जल और (पयः) दूध से (दुदुहे) पूर्ण करती है ॥२॥
Connotation: - परमात्मा उपदेश करते हैं कि हे मनुष्यों ! ये भौतिक नदियें केवल सांसारिक धनों को और संसार में सुखदायक जल तथा दुग्धादि पदार्थों को देती हैं और विद्यारूपी सरस्वती आध्यात्मिक धन और ऐश्वर्य्य को देनेवाली है। बहुत से टीकाकारों ने इस मन्त्र के अर्थ इस प्रकार किये हैं कि सरस्वती नदी नहुष राजा के यज्ञ करने के लिए संसार में आयी अर्थात् जिस प्रकार यह जनप्रवाद है कि भगीरथ के तप करने से भागीरथी गङ्गा निकली, यह भी इसी प्रकार का एक अर्थवादमात्र है, क्योंकि यदि यह भी भागीरथी के समान आती, तो इसका नाम भी नाहुषी होना चाहिए था। अस्तु, इस प्रकार की कल्पित अनेक कथायें अज्ञान के समय में वेदार्थ में भर दी गयीं, जिनका वेदों में गन्ध भी नहीं, क्योंकि ‘नहुष’ शब्द की व्युत्पत्ति इस प्रकार है कि “नह्यति कर्मसु इति नहुषस्तदपत्यं नाहुषः” इससे ‘नाहुष’ शब्द का अर्थ यहाँ मनुष्यसन्तान है, कोई राजा विशेष नहीं। इसी से निरुक्तकार ने भी कहा है कि वेदों में शब्द यौगिक और योगरूढ़ हैं, केवल रूढ़ नहीं। इस बात को सायण ने भी अपनी भूमिका में माना है, फिर न मालूम क्यों, यहाँ राजा विशेष मान कर एक कल्पित कथा भर दी ॥२॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (नदीनाम्) आसु भौतिकनदीषु (एका) नदी (सरस्वती, अचेतत्) सरस्वतीरूपेण सत्त्वमलब्ध तथा या (गिरिभ्यः) गिरेः निःसृत्य (आसमुद्रात्) समुद्रपर्यन्तमेति सा (रायः, चेतन्ती) धनस्य दात्री (शुचिः, यती) पवित्ररूपेण वहन्ती तथा च सा (भुवनस्य) संसारस्य (नाहुषाय) मनुष्यान् (भूरेः) बहुतरेण (घृतम्) जलेन (पयः) क्षीरेण च (दुदुहे) पिपर्ति ॥२॥