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अरं॑ दा॒सो न मी॒ळ्हुषे॑ कराण्य॒हं दे॒वाय॒ भूर्ण॒येऽना॑गाः । अचे॑तयद॒चितो॑ दे॒वो अ॒र्यो गृत्सं॑ रा॒ये क॒वित॑रो जुनाति ॥

English Transliteration

araṁ dāso na mīḻhuṣe karāṇy ahaṁ devāya bhūrṇaye nāgāḥ | acetayad acito devo aryo gṛtsaṁ rāye kavitaro junāti ||

Pad Path

अर॑म् । दा॒सः । न । मी॒ळ्हुषे॑ । क॒रा॒णि॒ । अ॒हम् । दे॒वाय॑ । भूर्ण॑ये । अना॑गाः । अचे॑तयत् । अ॒चितः॑ । दे॒वः । अ॒र्यः । गृत्स॑म् । रा॒ये । क॒विऽत॑रः । जु॒ना॒ति॒ ॥ ७.८६.७

Rigveda » Mandal:7» Sukta:86» Mantra:7 | Ashtak:5» Adhyay:6» Varga:8» Mantra:7 | Mandal:7» Anuvak:5» Mantra:7


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ARYAMUNI

अब जीव ईश्वर से स्वकल्याण की प्रार्थना करता है।

Word-Meaning: - (अहं) मैं (अनागाः) निष्पाप होकर (देवाय) परमात्मदेव से (दासः, न) दास के समान (अरं, कराणि) अपनी कामनाओं के लिए प्रार्थना करता हूँ, (मीळ्हुषे) वह कर्मों का फलप्रदाता (अचितः, अचेतयत्) अज्ञानियों को मार्ग बतलानेवाला (अर्यः) सबका स्वामी (देवः) दिव्यगुणस्वरूप और (कवितरः) सर्वज्ञ परमात्मा (गृत्सं) यजन करनेवालों को (राये, जुनाति) ऐश्वर्य्य की ओर प्रेरित करे ॥७॥
Connotation: - परमात्मा के अज्ञानियों का पथप्रदर्शक होने से जीव अपने कल्याण की प्रार्थना करता हुआ यह कथन करता है कि हे परमात्मदेव ! मैं आपके निमित्त यजन करता हुआ प्रार्थी हूँ कि कृपा करके आप मेरे कल्याणार्थ मुझे ऐश्वर्य्यसम्पन्न करें ॥७॥
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ARYAMUNI

सम्प्रति जीव ईश्वरं कल्याणं प्रार्थयते।

Word-Meaning: - (अहम्) तवोपासकोऽहं (अनगाः) निरपराधः सन् (देवाय) परमात्मानं (दासः, न) सेवक इव (अरम्, करवाणि) स्वकामनायै प्रार्थये (मीळ्हुषे) स कर्मफलदाता (अचितः, अचेतयत्) अजानतश्चेतयतु (अर्यः) विश्वेशः (देवः) दिव्यगुणसम्पन्नः (कवितरः) महाविचक्षणः (गृत्सम्) स्वोपासकं (राये, जुनाति) सर्वविधधनाप्तये प्रेरयतु ॥७॥