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कृ॒तं नो॑ य॒ज्ञं वि॒दथे॑षु॒ चारुं॑ कृ॒तं ब्रह्मा॑णि सू॒रिषु॑ प्रश॒स्ता । उपो॑ र॒यिर्दे॒वजू॑तो न एतु॒ प्र ण॑: स्पा॒र्हाभि॑रू॒तिभि॑स्तिरेतम् ॥

English Transliteration

kṛtaṁ no yajñaṁ vidatheṣu cāruṁ kṛtam brahmāṇi sūriṣu praśastā | upo rayir devajūto na etu pra ṇaḥ spārhābhir ūtibhis tiretam ||

Pad Path

कृ॒तम् । नः॒ । य॒ज्ञम् । वि॒दथे॑षु । चारु॑म् । कृ॒तम् । ब्रह्मा॑णि । सू॒रिषु॑ । प्र॒ऽश॒स्ता । उपो॒ इति॑ । र॒यिः । दे॒वऽजू॑तः । नः॒ । ए॒तु॒ । प्र । नः॒ । स्पा॒र्हाभिः॑ । ऊ॒तिऽभिः॑ । ति॒रे॒त॒म् ॥ ७.८४.३

Rigveda » Mandal:7» Sukta:84» Mantra:3 | Ashtak:5» Adhyay:6» Varga:6» Mantra:3 | Mandal:7» Anuvak:5» Mantra:3


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ARYAMUNI

Word-Meaning: - हे विद्वान् राजपुरुषो ! (नः) हमारे (यज्ञं) यज्ञ को (विदथेषु) हमारे गृहों में (चारुं, कृतं) सुन्दर बनायें, (ब्रह्माणि) वैदिकस्तोत्रों को (सूरिषु) शूरवीरों में (प्रशस्ता, कृतं) प्रशंसनीय बनाओ, (नः) हमारे (देवजूतः) आपकी रक्षा से (उपो, एतु, रयिः) उत्तमोत्तम पुष्कल धन प्राप्त हो और (नः) हमको (प्र) सर्व प्रकार की (स्पार्हाभिः) अभिलषित (ऊतिभिः) रक्षाओं से (तिरेतम्) उन्नत करो ॥३॥
Connotation: - परमात्मा आज्ञा देते हैं कि हे न्यायाधीश तथा सेनाधीश राजपुरुषो ! तुम प्रजाजनों को प्राप्त होकर उनके घरों को यज्ञों द्वारा सुशोभित करो और शूरवीरों को वैदिक शिक्षा दो, ताकि वे वेदवाणीरूप ब्रह्मस्तोत्रों का प्रजा में भलीभाँति प्रचार करें और राजा तथा प्रजा दोनों ऐश्वर्य्ययुक्त पदार्थों से भरपूर हों और प्रजाजन भी उन विद्वानों से प्रार्थना करें कि हे भगवन् ! आपकी रक्षा से हमको पुष्कल धन प्राप्त हो और हम आपकी रक्षा में रहकर मनोऽभिलषित उन्नति करें ॥३॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - भो नानाविधविद्यावेत्तारः ! (नः) अस्माकं (यज्ञम्) क्रतुम् (विदथेषु) अस्मद्यज्ञशालायां (चारुम्, कृतम्) शोभनं विधत्त=सफलं कुरुत (ब्रह्माणि) वैदिकस्तोत्राणि (सूरिषु) ज्ञातिषु मध्ये (प्रशस्ता, कृतम्) प्रशंसनीयं कुरुत (नः) अस्माभिः (देवजूतः) युष्मत्कर्तृकाभिरक्षया (उपो, एतु, रयिः) सुस्थिरं पुष्कलं धनं प्राप्यताम् (नः) अस्मान् (प्र) नानाविधाभिः (स्पार्हाभिः) स्वाभिलषिताभिः (ऊतिभिः) रक्षाभिः (तिरेतम्) समुन्नमयत ॥३॥