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आ वां॑ राजानावध्व॒रे व॑वृत्यां ह॒व्येभि॑रिन्द्रावरुणा॒ नमो॑भिः । प्र वां॑ घृ॒ताची॑ बा॒ह्वोर्दधा॑ना॒ परि॒ त्मना॒ विषु॑रूपा जिगाति ॥

English Transliteration

ā vāṁ rājānāv adhvare vavṛtyāṁ havyebhir indrāvaruṇā namobhiḥ | pra vāṁ ghṛtācī bāhvor dadhānā pari tmanā viṣurūpā jigāti ||

Pad Path

आ । वा॒म् । रा॒जा॒नौ॒ । अ॒ध्व॒रे । व॒वृ॒त्याम् । ह॒व्येभिः॑ । इ॒न्द्रा॒व॒रु॒णा॒ । नमः॑ऽभिः । प्र । वा॒म् । घृ॒ताची॑ । बा॒ह्वोः । दधा॑ना । परि॑ । त्मना॑ । विषु॑ऽरूपा । जि॒गा॒ति॒ ॥ ७.८४.१

Rigveda » Mandal:7» Sukta:84» Mantra:1 | Ashtak:5» Adhyay:6» Varga:6» Mantra:1 | Mandal:7» Anuvak:5» Mantra:1


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ARYAMUNI

अब परमात्मा प्रकारान्तर से राजधर्म का उपदेश करते हैं।

Word-Meaning: - (इन्द्रावरुणा) हे इन्द्र तथा वरुण ! (वां, राजानौ) प्रकाशवाले आप दोनों (अध्वरे) संग्राम में (ववृत्यां) आवें (हव्येभिः, नमोभिः) हम नम्र वाणियों द्वारा आपका सत्कार करते हैं, (वां) आपको (बाह्वोः) हाथों में (आ) भले प्रकार (घृताची) स्रुवा (दधाना) धारण कराते हुए (परि, त्मना) शुभ संकल्प से (विषुरूपा) नानाप्रकार के द्रव्यों द्वारा (जिगाति) उद्बोधन करते हैं ॥१॥
Connotation: - परमात्मा उपदेश करते हैं कि हे यजमानो ! तुम अग्निविद्यावेत्ता तथा जल वायु आदि तत्त्वों की विद्या जाननेवाले विद्वानों को दुष्ट दमनरूप  संग्राम में बुलाओ और नम्रवाणियों द्वारा उनका सत्कार करते हुए उनको उद्बोधन करो कि हे भगवन् ! जिस प्रकार घृतादि पदार्थों से अग्नि देदीप्यमान होती है, इसी प्रकार आप हमारे सम्मानादि भावों से देदीप्यमान होकर शत्रुरूप समिधाओं को शीघ्र ही भस्म करें, जिससे हमारी शुभकामानायें पूर्ण हों ॥ तात्पर्य्य यह कि इस मन्त्र में युद्धविद्यावेत्ता सैनिक पुरुषों का सत्कार कथन किया गया है अर्थात् राजा अपने सैनिक तथा विद्वान् पुरुषों का सत्कार सदैव करे, जिससे वे राजधर्म का अङ्ग बनकर राजा की रक्षा में सदा तत्पर रहें ॥१॥
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ARYAMUNI

अथ परमात्मा प्रकारान्तरेण राजधर्ममुपदिशति।

Word-Meaning: - (इन्द्रावरुणा) भो इन्द्रावरुणौ देवौ ! (वाम्, राजानौ) प्रकाशवन्तौ युवां (अध्वरे) सङ्ग्रामे (ववृत्याम्) आह्वयामि (हव्येभिः, नमोभिः) नम्राभिर्वाग्भिः युवां सत्करोमि (वाम्) युवां (बाह्वोः) भुजयोः (आ) सुरीत्या (घृताची) स्रुवं (दधाना) धारयन्तः (परि त्मना) सम्यक् स्वयमेव (विषुरूपा) बहुविधद्रव्यैः (जिगाति) सम्बोधयामि ॥१॥