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उदु॒स्रिया॑: सृजते॒ सूर्य॒: सचाँ॑ उ॒द्यन्नक्ष॑त्रमर्चि॒वत् । तवेदु॑षो॒ व्युषि॒ सूर्य॑स्य च॒ सं भ॒क्तेन॑ गमेमहि ॥

English Transliteration

ud usriyāḥ sṛjate sūryaḥ sacām̐ udyan nakṣatram arcivat | taved uṣo vyuṣi sūryasya ca sam bhaktena gamemahi ||

Pad Path

उत् । उ॒स्रियाः॑ । सृ॒ज॒ते॒ । सूर्यः॑ । सचा॑ । उ॒त्ऽयत् । नक्ष॑त्रम् । अ॒र्चि॒ऽवत् । तव॑ । इत् । उ॒षः॒ । वि॒ऽउषि॑ । सूर्य॑स्य । च॒ । सम् । भ॒क्तेन॑ । ग॒मे॒म॒हि॒ ॥ ७.८१.२

Rigveda » Mandal:7» Sukta:81» Mantra:2 | Ashtak:5» Adhyay:6» Varga:1» Mantra:2 | Mandal:7» Anuvak:5» Mantra:2


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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (सूर्यः) सबका उत्पन्न करनेवाला परमात्मा (उस्रियाः, सृजते) तेजोमण्डल को रचता (उत्) और (सचा) साथ ही (नक्षत्रं) नक्षत्रों को (उत्, यत्) उत्पन्न करता हुआ (अर्चिवत्) प्रकाशित करता है, (तव, इत् उषः) तुम्हारा वही तेज (व्युषि) हमको प्रकाशित करे, ताकि हम (सूर्यस्य) स्वतःप्रकाश आपको (सं, भक्तेन) भले प्रकार श्रद्धापूर्वक (गमेमहि) प्राप्त हों ॥२॥
Connotation: - हे सबको उत्पन्न करनेवाले परमात्मन् ! आपका तेजोमय स्वरूप जो सूर्य्य-चन्द्रादि लोकों को प्रकाशित कर रहा है, वह हमको भी ज्ञान से प्रकाशित करे, ताकि हम आपको भक्तिभाव से प्राप्त हों अर्थात् हमलोग सदैव आपके ही स्वरूप का चिन्तन करते हुए अपने जीवन को पवित्र करें ॥२॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (सूर्यः) विश्वोत्पादकः परमात्मा (उस्रियाः, सृजते) तेजोमण्डलं रचयति (उत्) तथा च (सचा) सह (नक्षत्रम्) नक्षत्राणि (उत्, यत्) उत्पादयन् (अर्चिवत्) प्रकाशवन्ति करोति (तव, इत्, उषः) तद्धि ते तेजः (व्युषि) अस्मान्प्रकाशयतु, यतो वयं (सूर्यस्य) स्वप्रकाशं भवन्तं (सम्, भक्तेन) सम्यक् श्रद्धया (गमेमहि) प्राप्नुयाम ॥२॥