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इ॒दं वचः॑ शत॒साः संस॑हस्र॒मुद॒ग्नये॑ जनिषीष्ट द्वि॒बर्हाः॑। शं यत्स्तो॒तृभ्य॑ आ॒पये॒ भवा॑ति द्यु॒मद॑मीव॒चात॑नं रक्षो॒हा ॥६॥

English Transliteration

idaṁ vacaḥ śatasāḥ saṁsahasram ud agnaye janiṣīṣṭa dvibarhāḥ | śaṁ yat stotṛbhya āpaye bhavāti dyumad amīvacātanaṁ rakṣohā ||

Pad Path

इ॒दम्। वचः॑। श॒त॒ऽसाः। सम्ऽस॑हस्रम्। उत्। अ॒ग्नये॑। ज॒नि॒षी॒ष्ट॒। द्वि॒ऽबर्हाः॑। शम्। यत्। स्तो॒तृऽभ्यः॑। आ॒पये॑। भवा॑ति। द्यु॒ऽमत्। अ॒मी॒व॒ऽचात॑नम्। र॒क्षः॒ऽहा ॥६॥

Rigveda » Mandal:7» Sukta:8» Mantra:6 | Ashtak:5» Adhyay:2» Varga:11» Mantra:6 | Mandal:7» Anuvak:1» Mantra:6


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर वह राजा क्या करे, इस विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे राजन् ! (शतसाः) सौ का विभाग करने (द्विबर्हाः) विद्या और विनय से ब़ढ़ने और (रक्षोहा) दुष्ट राक्षसों के हिंसा करनेवाले आप (अग्नये) अग्नि के लिये जैसे, वैसे (इदम्) इस (सम्, सहस्रम्) सम्यक् सहस्र (वचः) वचन को (जनिषीष्ट) प्रकट कीजिये (यत्) जिस (द्युमत्) कामनावाले (अमीवचातनम्) रोगनाशरूप (शम्) सुख को (स्तोतृभ्यः) स्तुतिकर्ता विद्वानों के लिये वा (आपये) प्राप्त करानेवाले के लिये (उद्भवाति) प्रसिद्ध करते हैं, उसी को निरन्तर सिद्ध करें ॥६॥
Connotation: - हे प्रजाजनो ! जैसे सभापति राजा सब के लिये मधुर कोमल वचन और उत्तम सुख देकर दुःख दूर करता है, वैसे ही तुम लोग भी राजा के लिये असंख्य पदार्थों को देकर प्रमाद और रोग रहित करके अधिकरतर धन देओ ॥६॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनः स राजा किं कुर्यादित्याह ॥

Anvay:

हे राजञ्छतसा द्विबर्हा रक्षोहा भवानग्नय इदं सं सहस्रं वचो जनिषीष्ट यद् द्युमदमीवचातनं शं स्तोतृभ्य आपय उद्भवाति तदेव सततं साधयतु ॥६॥

Word-Meaning: - (इदम्) (वचः) वचनम् (शतसाः) यः शतानि सनति विभजति (सम्, सहस्रम्) सम्यक्सहस्रम् (उत्) (अग्नये) पावकायेव (जनिषीष्ट) जनयतु (द्विबर्हाः) द्वाभ्यां विद्याविनयाभ्यां बर्हः वर्धनं यस्य सः (शम्) सुखम् (यत्) (स्तोतृभ्यः) स्तावकेभ्यो विद्वद्भ्यः (आपये) प्रापकायाऽऽप्ताय (भवाति) भवेत् (द्युमत्) द्यौः कामना विद्यते यस्य (अमीवचातनम्) रोगनाशनम् (रक्षोहा) रक्षसां दुष्टानां हन्ता ॥६॥
Connotation: - हे प्रजाजना ! यथा राजा सभेशः सर्वेभ्यो मधुरं वचः उत्तमं सुखं दत्वा दुःखं दूरीकरोति तथैव यूयमपि राज्ञेऽसंख्यान् पदार्थान् दत्वा प्रमादरोगरहितं सम्पादयत ॥६॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे प्रजाजनांनो! जसा राजा सर्वांना मधुर वचन बोलून उत्तम सुख देऊन दुःख दूर करतो तसे तुम्हीही राजाला असंख्य पदार्थ द्या व प्रमादरहित आणि रोगरहित करा. ॥ ६ ॥