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उदु॒ स्तोमा॑सो अ॒श्विनो॑रबुध्रञ्जा॒मि ब्रह्मा॑ण्यु॒षस॑श्च दे॒वीः । आ॒विवा॑स॒न्रोद॑सी॒ धिष्ण्ये॒मे अच्छा॒ विप्रो॒ नास॑त्या विवक्ति ॥

English Transliteration

ud u stomāso aśvinor abudhrañ jāmi brahmāṇy uṣasaś ca devīḥ | āvivāsan rodasī dhiṣṇyeme acchā vipro nāsatyā vivakti ||

Pad Path

उत् । ऊँ॒ इति॑ । स्तोमा॑सः । अ॒श्विनोः॑ । अ॒बु॒ध्र॒न् । जा॒मि । ब्रह्मा॑णि । उ॒षसः॑ । च॒ । दे॒वीः । आ॒ऽविवा॑सन् । रोद॑सी॒ इति॑ । धिष्ण्ये॒ इति॑ । इ॒मे इति॑ । अच्छ॑ । विप्रः॑ । नास॑त्या । वि॒व॒क्ति॒ ॥ ७.७२.३

Rigveda » Mandal:7» Sukta:72» Mantra:3 | Ashtak:5» Adhyay:5» Varga:19» Mantra:3 | Mandal:7» Anuvak:5» Mantra:3


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ARYAMUNI

अब उन सत्यवादी विद्वानों का उपदेश कथन करते हैं।

Word-Meaning: - (अश्विनोः) अध्यापक तथा उपदेशक (अबुध्रन्) बोधन करते हैं कि (जामि) हे सम्बन्धिजनो ! तुम लोग (उषसः) उषःकाल में (ब्रह्माणि देवीः) वेद की दिव्यवाणी का (आविवासन्) अभ्यास करो (उत) और (इमे) इन (स्तोमासः) वेद के स्तोत्रों को (अच्छ) भली-भाँति (रोदसी) द्युलोक तथा पृथिवीलोक के मध्य (धिष्ण्ये) फैलाओ (च) और (विप्रः) मेधावी पुरुष (नासत्या विवक्ति) सत्यवादी विद्वानों को उपदेश करें ॥३॥
Connotation: - परमात्मा उपदेश करते हैं कि हे विद्वज्जनों ! तुम लोग ब्रह्ममुहूर्त्त में वेद की पवित्र वाणी का अभ्यास करते हुए वैदिक स्तोत्रों का उच्च स्वर से पाठ करो और वेद के ज्ञाता पुरुषों को उचित है कि वे विद्वानों को इस वेदवाणी का उपदेश करें, ताकि अज्ञान का नाश होकर ज्ञान की वृद्धि हो ॥३॥
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ARYAMUNI

इदानीं तेषां सत्यवादिनां विदुषामुपदेशमाह।

Word-Meaning: - (अश्विनोः) अध्यापकास्तथोपदेशकाः (अबुध्रन्) सर्वान् बोधयन्ति यत् (जामि) हे सम्बन्धिनो जनाः ! यूयं (उषसः) उषःकाले (ब्रह्माणि देवीः) वेदवाणीः (आविवासन्) समभ्यस्यत (उत) अन्यच्च (इमे) इमानि (स्तोमासः) वैदिकस्तोत्राणि (अच्छ) सम्यक् (रोदसी) द्युलोकपृथिव्योर्मध्ये (धिष्ण्ये) विस्तारयत (च) तथा च विप्रः मेधावी पुरुषः (नासत्या) सत्यवादिनो जनान् (विवक्ति) उपदिशति (ऊँ) इति पादपूरणार्थः ॥३॥