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स॒द्यो अ॑ध्व॒रे र॑थि॒रं ज॑नन्त॒ मानु॑षासो॒ विचे॑तसो॒ य ए॑षाम्। वि॒शाम॑धायि वि॒श्पति॑र्दुरो॒णे॒३॒॑ग्निर्म॒न्द्रो मधु॑वचा ऋ॒तावा॑ ॥४॥

English Transliteration

sadyo adhvare rathiraṁ jananta mānuṣāso vicetaso ya eṣām | viśām adhāyi viśpatir duroṇe gnir mandro madhuvacā ṛtāvā ||

Pad Path

स॒द्यः। अ॒ध्व॒रे। र॒थि॒रम्। ज॒न॒न्त॒। मानु॑षासः। विऽचे॑तसः। यः। ए॒षा॒म्। वि॒शाम्। अ॒धा॒यि॒। वि॒श्पतिः॑। दु॒रो॒णे। अ॒ग्निः। म॒न्द्रः। मधु॑ऽवचाः। ऋ॒तऽवा॑ ॥४॥

Rigveda » Mandal:7» Sukta:7» Mantra:4 | Ashtak:5» Adhyay:2» Varga:10» Mantra:4 | Mandal:7» Anuvak:1» Mantra:4


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर कौन मनुष्य योग्य राजा होता है, इस विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - (विचेतसः) विविधप्रकार की बुद्धि से युक्त (मानुषासः) मनुष्य (अध्वरे) अहिंसारूप व्यवहार में जिस (रथिरम्) रथवालों में रमण करनेवाले को (सद्यः) शीघ्र (जनन्त) प्रकट करते हैं (यः) जो (एषाम्) विद्वानों के बीच (दुरोणे) घर में (अग्निः) अग्नि के तुल्य (मन्द्रः) आनन्ददाता (मधुवचाः) कोमल वचनों (ऋतावा) और सत्य का सेवन करनेवाला (विशाम्) प्रजाओं का (विश्पतिः) रक्षक विद्वानों से (अधायि) धारण किया जाता, वही राजा होने को योग्य होता है ॥४॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। जिसको उत्तम शिक्षा से विद्या ग्रहण कराके विद्वान् लोग पण्डित करते हैं, वह योग्य होकर घर में दीप के तुल्य प्रजाओं में न्याय का प्रकाशक होता है ॥४॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनः को मनुष्यो योग्यो राजा भवतीत्याह ॥

Anvay:

विचेतसो मानुषासोऽध्वरे यं रथिरं सद्यो जनन्त य एषां मध्ये दुरोणेऽग्निरिव मन्द्रो मधुवचा ऋतावा विशां विश्पतिर्विद्वद्भिरधायि स एव राजा भवितुमर्हति ॥४॥

Word-Meaning: - (सद्यः) (अध्वरे) अहिंसामये व्यवहारे (रथिरम्) यो रथिषु रमते तम् (जनन्त) जनयन्ति (मानुषासः) मनुष्याः (विचेतसः) विविधप्रज्ञायुक्ताः (यः) (एषाम्) विदुषाम् (विशाम्) प्रजानाम् (अधायि) धीयते (विश्पतिः) प्रजापालकः (दुरोणे) गृहे (अग्निः) पावक इव (मन्द्रः) आनन्दप्रदः (मधुवचाः) मधूनि मधुराणि वचांसि यस्य सः (ऋतावा) य ऋतं सत्यमेव वनति सम्भजति सः ॥४॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। यं सुशिक्षया विद्यां ग्राहयित्वा विपश्चितं विद्वांसो जनयन्ति स योग्यो भूत्वा गृहे दीप इव प्रजासु न्यायप्रकाशको जायते ॥४॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. ज्याला उत्तम शिक्षणाद्वारे विद्या ग्रहण करवून विद्वान लोक पंडित करतात तो योग्य बनून घरातील दीपकाप्रमाणे प्रजेत न्यायाचा प्रकाशक होतो (राजा) ॥ ४ ॥