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यो ह॒ स्य वां॑ रथिरा॒ वस्त॑ उ॒स्रा रथो॑ युजा॒नः प॑रि॒याति॑ व॒र्तिः । तेन॑ न॒: शं योरु॒षसो॒ व्यु॑ष्टौ॒ न्य॑श्विना वहतं य॒ज्ञे अ॒स्मिन् ॥

English Transliteration

yo ha sya vāṁ rathirā vasta usrā ratho yujānaḥ pariyāti vartiḥ | tena naḥ śaṁ yor uṣaso vyuṣṭau ny aśvinā vahataṁ yajñe asmin ||

Pad Path

यः । ह॒ । स्यः । वा॒म् । र॒थि॒रा॒ । वस्ते॑ । उ॒स्राः । रथः॑ । यु॒जा॒नः । प॒रि॒ऽयाति॑ । व॒र्तिः । तेन॑ । नः॒ । शम् । योः । उ॒षसः॑ । विऽउ॑ष्टौ । नि । अ॒श्वि॒ना॒ । व॒ह॒त॒म् । य॒ज्ञे । अ॒स्मिन् ॥ ७.६९.५

Rigveda » Mandal:7» Sukta:69» Mantra:5 | Ashtak:5» Adhyay:5» Varga:16» Mantra:5 | Mandal:7» Anuvak:4» Mantra:5


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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (अश्विना) हे शूरवीर राजपुरुषो ! (वां) तुम (ह) निश्चय करके (अस्मिन्, यज्ञे) इस यज्ञ में (नि) निरन्तर (शंयोः) सुख को (वहतं) प्राप्त होओ (तेन) उस यज्ञ से (नः) हमको (उसषः, व्युष्टौ) प्रातःकाल उद्बोधन करो और (यः) जो (रथिरा) रथी=आत्मा रथ से (वस्ते) आच्छादित है, (स्यः) वह (रथः, युजानः) रथ के साथ जुड़ा हुआ (उस्रा) तेजस्वी बन कर (वर्तिः, परियाति) तुम्हारे मार्गों को सुगम करे ॥५॥
Connotation: - इस मन्त्र में परमात्मा आज्ञा देते हैं कि हे शूरवीर राजपुरुषो ! तुम क्षात्रधर्मरूप यज्ञ को भले प्रकार पालन करते हुए सुख को प्राप्त होओ अर्थात् अपने उस रथीरूप आत्मा को, जिसका वर्णन पीछे कर आये हैं, यम नियमादि द्वारा तेजस्वी बनाओ और सब प्रजा को उद्बोधन करो कि वे प्रातः उषाकाल में उठकर अपने कर्तव्य का पालन करें। यदि तुम इस प्रकार संस्कृत आत्मा द्वारा संसार की यात्रा करोगे, तो तुम्हारे लिए सब मार्ग सुगम हो जावेंगे, जिससे तुम द्युलोक के अन्त तक पहुँच कर मुझे प्राप्त होगे ॥५॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (अश्विना) हे बलिनो राजपुरुषाः ! (वाम्) यूयं (ह) निश्चयेन (अस्मिन्, यज्ञे) अत्र क्षात्रधर्म्मात्मके यज्ञे (नि) निरन्तरं (शंयोः) कल्याणं (वहतम्) प्राप्नुत, (तेन) यज्ञेन (नः) अस्मान् (उषसः, व्युष्टौ) उषःकाले प्रबोधयत, अन्यच्च (यः) यः (रथिरा) रथवानात्मा रथेन (वस्ते) आच्छादितोऽस्ति (स्यः) सः (रथः, युजानः) रथेन युक्तः (उस्रा) तेजस्वी (वर्तिः, परियाति) भवन्मार्गं सुगमं कुर्यात् ॥५॥