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या धा॒रय॑न्त दे॒वाः सु॒दक्षा॒ दक्ष॑पितरा । अ॒सु॒र्या॑य॒ प्रम॑हसा ॥

English Transliteration

yā dhārayanta devāḥ sudakṣā dakṣapitarā | asuryāya pramahasā ||

Pad Path

या । धा॒रय॑न्त । दे॒वाः । सु॒ऽदक्षा॑ । दक्ष॑ऽपितरा । अ॒सु॒र्या॑य । प्रऽम॑हसा ॥ ७.६६.२

Rigveda » Mandal:7» Sukta:66» Mantra:2 | Ashtak:5» Adhyay:5» Varga:8» Mantra:2 | Mandal:7» Anuvak:4» Mantra:2


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ARYAMUNI

Word-Meaning: - हे ज्ञानस्वरूप प्रभो ! आपको (देवाः) विद्वान् लोग (धारयन्त) धारण करते हैं (या) जो आप (सुदक्षा) विज्ञानी हो (दक्षपितरा) विज्ञानियों की रक्षा करनेवाले हो (प्रमहसा) प्रकृष्ट तेजवाले आप (असुर्याय) हमारे बल के लिए सहायक हों ॥२॥
Connotation: - इस मन्त्र में भी द्विवचन अविवक्षित है अर्थात् “या” से “यौ” के अर्थों का ग्रहण नहीं, किन्तु यह अर्थ है कि हे परमात्मन् ! आपको विद्वान् लोग धारण करते हैं, आप सर्वोपरि दक्ष और दक्षों के भी रक्षक हैं, आप हमारे इस विज्ञानयज्ञ में अपनी दक्षता से सहायक हों ॥ तात्पर्य्य यह है कि कलाकौशलप्रधान यज्ञ को “विज्ञानयज्ञ” कहते हैं और यह यज्ञ कुशलता के बिना कदापि नहीं आ सकता, इसलिए सर्वोपरि कुशल=दक्ष परमात्मा के साहाय्य की इस मन्त्र में प्रार्थना की है। स्मरण रहे कि दक्ष, कुशल, चतुर तथा निपुण, ये सब पर्यायवाची शब्द हैं ॥२॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - हे ज्ञानस्वरूप परमात्मन् ! भवन्तं (देवाः) विद्वांसः हृदि (धारयन्त) धारयन्ति (या) यो भवान् (सुदक्षा) सर्वज्ञः (दक्षपितरा) विदुषां रक्षिता (प्रमहसा) तेजस्वी भवान् (असुर्याय) अस्मभ्यं बलदानार्थं सहायको भवतु ॥२॥