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इ॒मे दि॒वो अनि॑मिषा पृथि॒व्याश्चि॑कि॒त्वांसो॑ अचे॒तसं॑ नयन्ति। प्र॒व्रा॒जे चि॑न्न॒द्यो॑ गा॒धम॑स्ति पा॒रं नो॑ अ॒स्य वि॑ष्पि॒तस्य॑ पर्षन् ॥७॥

English Transliteration

ime divo animiṣā pṛthivyāś cikitvāṁso acetasaṁ nayanti | pravrāje cin nadyo gādham asti pāraṁ no asya viṣpitasya parṣan ||

Pad Path

इ॒मे। दि॒वः। अनि॑ऽमिषा। पृ॒थि॒व्याः। चि॒कि॒त्वांसः॑। अ॒चे॒तस॑म्। न॒य॒न्ति॒। प्र॒ऽव्रा॒जे। चि॒त्। न॒द्यः॑। गा॒धम्। अ॒स्ति॒। पा॒रम्। नः॒। अ॒स्य। वि॒ष्पि॒तस्य॑। प॒र्ष॒न् ॥७॥

Rigveda » Mandal:7» Sukta:60» Mantra:7 | Ashtak:5» Adhyay:5» Varga:2» Mantra:1 | Mandal:7» Anuvak:4» Mantra:7


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर कौन विद्वान् श्रेष्ठ होते हैं, इस विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! जो (इमे) ये (चिकित्वांसः) विज्ञान देते हुए (अनिमिषा) निरन्तरता से (पृथिव्याः) भूमि आदि पदार्थ मात्र की ओर (दिवः) सूर्य्य आदि की विद्या को (अचेतसम्) जड़ बुद्धि को (नयन्ति) प्राप्त कराते हैं और (चित्) जैसे (प्रव्राजे) जिसमें चलते हैं उस देश में (नद्यः) नदियाँ जाती हैं जो इन नदियों का (गाधम्) अथाह जल (अस्ति) है इससे (पारम्) परभाग को पहुँचाते हैं, वैसे (अस्य) इस (विष्पितस्य) व्याप्त कर्म के पार में (नः) हम लोगों को (पर्षन्) पहुँचाते हैं, वे ही विद्वान् करने को योग्य होते हैं ॥७॥
Connotation: - जो विद्वान् जन बिजुली और भूमि आदि सम्पूर्ण सृष्टि की विद्या को जानते हैं, वे सब मनुष्यों को दुःख से पार ले जाने को समर्थ होते हैं ॥७॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनः के विद्वांसः श्रेष्ठा भवन्तीत्याह ॥

Anvay:

हे मनुष्याः ! य इमे चिकित्वांसोऽनिमिषा पृथिव्या दिवश्च विद्यामचेतसं नयन्ति चित् प्रव्राजे नद्यो गच्छन्ति यदासां गाधमुदकमस्ति तस्मात्पारं नयन्ति तथाऽस्य विष्पितस्य कर्मणः पारं नोऽस्मान् पर्षन् एत एव विदुषः कर्तुमर्हन्ति ॥७॥

Word-Meaning: - (इमे) (दिवः) सूर्यादेः (अनिमिषा) नैरन्तर्येण (पृथिव्याः) भूम्यादेः पदार्थमात्रस्य (चिकित्वांसः) विज्ञापयन्तः (अचेतसम्) जडबुद्धिम् (नयन्ति) (प्रव्राजे) प्रव्रजन्ति यस्मिन् देशे (चित्) यथा (नद्यः) सरितः (गाधम्) अपरिमितमुदकम् (अस्ति) (पारम्) परभागम् (नः) अस्मान् (अस्य) (विष्पितस्य) व्याप्तस्य कर्मणः (पर्षन्) पारयन्ति ॥७॥
Connotation: - ये विद्वांसो विद्युद्भूम्यादेस्सर्वस्याः सृष्टैर्विद्यां बोधयन्ति ते सर्वान् मनुष्यान् दुःखात् पारं नेतुं शक्नुवन्ति ॥७॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जे विद्वान विद्युत व भूमी इत्यादी संपूर्ण सृष्टीची विद्या जाणतात ते सर्व माणसांना दुःखातून पार पाडण्यास समर्थ असतात. ॥ ७ ॥