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ताम॑ग्ने अ॒स्मे इष॒मेर॑यस्व॒ वैश्वा॑नर द्यु॒मतीं॑ जातवेदः। यया॒ राधः॒ पिन्व॑सि विश्ववार पृ॒थु श्रवो॑ दा॒शुषे॒ मर्त्या॑य ॥८॥

English Transliteration

tām agne asme iṣam erayasva vaiśvānara dyumatīṁ jātavedaḥ | yayā rādhaḥ pinvasi viśvavāra pṛthu śravo dāśuṣe martyāya ||

Pad Path

ताम्। अ॒ग्ने॒। अ॒स्मे इति॑। इष॑म्। आ। ई॒र॒य॒स्व॒। वैश्वा॑नर। द्यु॒ऽमती॑म्। जा॒त॒ऽवे॒दः॒। यया॑। राधः॑। पिन्व॑सि। वि॒श्व॒ऽवा॒र॒। पृ॒थु। श्रवः॑। दा॒शुषे॑। मर्त्या॑य ॥८॥

Rigveda » Mandal:7» Sukta:5» Mantra:8 | Ashtak:5» Adhyay:2» Varga:8» Mantra:3 | Mandal:7» Anuvak:1» Mantra:8


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर वह ईश्वर किसको क्या देता है, इस विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं।

Word-Meaning: - हे (वैश्वानर) सब में प्रकाशमान (जातवेदः) उत्पन्न हुए पदार्थों में विद्यमान (विश्ववार) सब से स्वीकार करने योग्य (अग्ने) विज्ञानस्वरूप ईश्वर ! आप (दाशुषे) विद्या देनेवाले (मर्त्याय) मनुष्य के लिये (यया) जिससे (पृथु) विस्तारयुक्त (राधः) धन और (श्रवः) श्रवण को (पिन्वसि) देते हो (ताम्) उस (द्युमतीम्) प्रशस्त कामनावाले (इषम्) अन्नादि को (अस्मे) हमारे लिये (आ, ईरयस्व) प्राप्त कीजिये ॥८॥
Connotation: - हे मनुष्यो ! जिसकी उपासना से विद्वान् लोग पूर्ण विद्या को प्राप्त होते हैं, जो उपासना किया हुआ समस्त ऐश्वर्य को देता है, उसी की नित्य सेवा करो ॥८॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्स ईश्वरः कस्मै किं ददातीत्याह ॥

Anvay:

हे वैश्वानर जातवेदो विश्ववाराग्ने ! त्वं दाशुषे मर्त्याय यया पृथु राधः श्रवश्च पिन्वसि तां द्युमतीमिषमस्मे एरयस्व ॥८॥

Word-Meaning: - (ताम्) (अग्ने) विज्ञानस्वरूप (अस्मे) अस्मभ्यम् (इषम्) अन्नादिकम् (आ) समन्तात् (ईरयस्व) प्रापय (वैश्वानर) विश्वस्मिन् राजमान (द्युमतीम्) प्रशस्ता द्यौः कामना विद्यते यस्यास्ताम् (जातवेदः) जातेषु सर्वेषु विद्यमान (यया) रीत्या (राधः) धनम् (पिन्वसि) ददासि (विश्ववार) विश्वैस्सर्वैर्वरणीयः (पृथु) विस्तीर्णम् (श्रवः) श्रवणम् (दाशुषे) विद्यादात्रे (मर्त्याय) मनुष्याय ॥८॥
Connotation: - हे मनुष्या ! यस्योपासनेन विद्वांसः पुष्कलमैश्वर्यं पूर्णां विद्यां चाप्नुवन्ति यश्चोपासितः सन् समग्रमैश्वर्यं प्रयच्छति तमेव नित्यं सेवध्वम् ॥८॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे माणसांनो ! ज्याच्या उपासनेने विद्वान लोक पूर्ण ऐश्वर्य व पूर्ण विद्या प्राप्त करतात, जो उपासना केलेला ईश्वर संपूर्ण ऐश्वर्य देतो त्याचीच नित्य सेवा करा. ॥ ८ ॥