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स जाय॑मानः पर॒मे व्यो॑मन्वा॒युर्न पाथः॒ परि॑ पासि स॒द्यः। त्वं भुव॑ना ज॒नय॑न्न॒भि क्र॒न्नप॑त्याय जातवेदो दश॒स्यन् ॥७॥

English Transliteration

sa jāyamānaḥ parame vyoman vāyur na pāthaḥ pari pāsi sadyaḥ | tvam bhuvanā janayann abhi krann apatyāya jātavedo daśasyan ||

Pad Path

सः। जाय॑मानः। प॒र॒मे। विऽओ॑मन्। वा॒युः। न। पाथः॑। परि॑। पा॒सि॒। स॒द्यः। त्वम्। भुव॑ना। ज॒नय॑न्। अ॒भि। क्र॒न्। अप॑त्याय। जा॒त॒ऽवे॒दः॒। द॒श॒स्यन् ॥७॥

Rigveda » Mandal:7» Sukta:5» Mantra:7 | Ashtak:5» Adhyay:2» Varga:8» Mantra:2 | Mandal:7» Anuvak:1» Mantra:7


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर वह जगदीश्वर क्या करता है, इस विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे परमेश्वर ! जो (परमे) उत्तम (व्योमन्) आकाश के तुल्य व्यापक आप में (जायमानः) उत्पन्न होता हुआ योगीजन (वायुः, न) वायु के तुल्य (पाथः) पृथिव्यादि को (सद्यः) शीघ्र (एति) प्राप्त होता है (सः) वह आप से उन्नति को प्राप्त होता है। हे (जातवेदः) उत्पन्न हुए सब को जाननेवाले ! जो (त्वम्) आप (भुवना) सब लोकों को (जनयन्) उत्पन्न करते हुए (अपत्याय) माता जैसे सन्तान के लिये, वैसे कामनाओं को (दशस्यन्) पूर्ण करते हुए सब को (अभि, क्रन्) पूर्ण करते हुए (परि, पासि) सब ओर से रक्षा करते हो, इससे उपासना के योग्य हैं ॥७॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। हे मनुष्यो ! जो अपत्य के लिये माता के तुल्य कृपालु, रक्षक, योगी के तुल्य सब काम देनेवाला, सब विश्व का कर्त्ता, सब का रक्षक ईश्वर है, उसी की नित्य उपासना करो ॥७॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनः स जगदीश्वरः किं करोतीत्याह ॥

Anvay:

हे परमेश्वर ! यः परमो व्योमँस्त्वयि जायमानो योगी वायुर्न पाथः सद्य एति स भवतोन्नीयते। हे जातवेदो ! यस्त्वं भुवना जनयन्नपत्याय मातेव कामान् दशस्यन् सर्वमभिक्रन् सर्वं परि पासि तस्मादुपासनीयोऽसि ॥७॥

Word-Meaning: - (सः) योगी (जायमानः) उत्पद्यमानः (परमे) उत्कृष्टे (व्योमन्) व्योमवद्व्यापके (वायुः) पवनः (न) इव (पाथः) पृथिव्यादिकम् (परि) (सर्वतः) (पासि) (सद्यः) (त्वम्) (भुवना) सर्वांल्लोकान् (जनयन्) उत्पादयन् (अभिक्रन्) पूर्णं कुर्वन्। अत्र वाच्छन्दसीति विकरणभावः। (अपत्याय) सन्तानाय मातेव (जातवेदः) यो जातं सर्वं वेत्ति तत्सम्बुद्धौ (दशस्यन्) कामान् प्रयच्छन् ॥७॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। हे मनुष्या ! योऽपत्याय मातेव कृपालुरक्षको योगीव सर्वकामप्रदः सकलविश्वकर्त्ता सर्वरक्षक ईश्वरोऽस्ति तमेव नित्यमुपाध्वम् ॥७॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. हे माणसांनो ! मातेप्रमाणे अपत्यावर प्रेम, कृपा करणारा व रक्षण करणारा, योग्याप्रमाणे सर्व कामप्रद, सर्व विश्वाचा कर्ता, सर्वांचा रक्षक ईश्वर आहे त्याचीच नित्य उपासना करा. ॥ ७ ॥