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प्राग्नये॑ त॒वसे॑ भरध्वं॒ गिरं॑ दि॒वो अ॑र॒तये॑ पृथि॒व्याः। यो विश्वे॑षाम॒मृता॑नामु॒पस्थे॑ वैश्वान॒रो वा॑वृ॒धे जा॑गृ॒वद्भिः॑ ॥१॥

English Transliteration

prāgnaye tavase bharadhvaṁ giraṁ divo arataye pṛthivyāḥ | yo viśveṣām amṛtānām upasthe vaiśvānaro vāvṛdhe jāgṛvadbhiḥ ||

Pad Path

प्र। अ॒ग्नये॑। त॒वसे॑। भ॒र॒ध्व॒म्। गिर॑म्। दि॒वः। अ॒र॒तये॑। पृ॒थि॒व्याः। यः। विश्वे॑षाम्। अ॒मृता॑नाम्। उ॒पऽस्थे॑। वै॒श्वा॒न॒रः। व॒वृ॒धे। जा॒गृ॒वत्ऽभिः॑ ॥१॥

Rigveda » Mandal:7» Sukta:5» Mantra:1 | Ashtak:5» Adhyay:2» Varga:7» Mantra:1 | Mandal:7» Anuvak:1» Mantra:1


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब नौ ऋचावाले पाँचवें सूक्त का आरम्भ है। इसके प्रथम मन्त्र में किसकी प्रशंसा और उपासना करनी चाहिये, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे मनुष्यो (यः) जो (वैश्वानरः) सम्पूर्ण मनुष्यों में प्रकाशमान जगदीश्वर (दिवः) सूर्य वा (पृथिव्याः) पृथिवी के बीच (विश्वेषाम्) सब (अमृतानाम्) नाशरहित जीवात्माओं वा प्रकृति आदि के (उपस्थे) समीप में (वावृधे) बढ़ाता है (जागृवद्भिः) अविद्या निद्रा से उठनेवाले ही उसको प्राप्त होते उस (तवसे) बलिष्ठ (अरतये) व्याप्त (अग्नये) परमात्मा के लिये (गिरम्) योगसंस्कार से युक्त वाणी को (प्र, भरध्वम्) धारण करो अर्थात् स्तुति प्रार्थना करो ॥१॥
Connotation: - यदि सब मनुष्य सब के धर्त्ता योगियों को प्राप्त होने योग्य परमेश्वर की उपासना करें तो वे सब ओर से वृद्धि को प्राप्त हों ॥१॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ कस्य प्रशंसोपासने कर्त्तव्ये इत्याह ॥

Anvay:

हे मनुष्या ! यो वैश्वानरो जगदीश्वरे दिवः पृथिव्या विश्वेषाममृतानामुपस्थे वावृधे जागृवद्भिरेव गम्यते तस्मै तवसेऽरतयेऽग्नये गिरं प्र भरध्वम् ॥१॥

Word-Meaning: - (प्र) (अग्नये) परमात्मने (तवसे) बलिष्ठाय (भरध्वम्) (गिरम्) योगसंस्कारयुक्तां वाचम् (दिवः) सूर्यस्य (अरतये) प्राप्ताय (पृथिव्याः) भूमेर्मध्ये (यः) (विश्वेषाम्) सर्वेषाम् (अमृतानाम्) नाशरहितानां जीवानां प्रकृत्यादीनां वा (उपस्थे) समीपे (वैश्वानरः) विश्वेषु नरेषु राजमानः (वावृधे) वर्धयति (जागृवद्भिः) अविद्यानिद्रात उत्थातृभिः ॥१॥
Connotation: - यदि सर्वे मनुष्याः सर्वेषां धर्त्तारं योगिभिर्गम्यं परमात्मानमुपासीरंस्तर्हि ते सर्वतो वर्धन्ते ॥१॥
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MATA SAVITA JOSHI

या सूक्तात ईश्वराच्या कृत्याचे वर्णन असल्यामुळे या सूक्ताच्या अर्थाबरोबर पूर्व सूक्तार्थाची संगती जाणावी.

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - जर माणसांनी सर्वांना धारण करणाऱ्या, योग्यांना प्राप्त होणाऱ्या परमेश्वराची उपासना केली तर सगळीकडून वृद्धी होईल. ॥ १ ॥