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या आपो॑ दि॒व्या उ॒त वा॒ स्रव॑न्ति ख॒नित्रि॑मा उ॒त वा॒ याः स्व॑यं॒जाः। स॒मु॒द्रार्था॒ याः शुच॑यः पाव॒कास्ता आपो॑ दे॒वीरि॒ह माम॑वन्तु ॥२॥

English Transliteration

yā āpo divyā uta vā sravanti khanitrimā uta vā yāḥ svayaṁjāḥ | samudrārthā yāḥ śucayaḥ pāvakās tā āpo devīr iha mām avantu ||

Pad Path

याः। आपः॑। दि॒व्याः। उ॒त। वा॒। स्रव॑न्ति। ख॒नित्रि॑माः। उ॒त। वा॒। याः। स्व॒य॒म्ऽजाः। स॒मु॒द्रऽअ॑र्थाः। याः। शुच॑यः। पा॒व॒काः। ताः। आपः॑। दे॒वीः। इ॒ह। माम्। अ॒व॒न्तु॒ ॥२॥

Rigveda » Mandal:7» Sukta:49» Mantra:2 | Ashtak:5» Adhyay:4» Varga:16» Mantra:2 | Mandal:7» Anuvak:3» Mantra:2


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! (याः) जो (दिव्याः) शुद्ध (आपः) जल (स्रवन्ति) चूते हैं (उत, वा) अथवा (खनित्रिमाः) खोदने से उत्पन्न होते हैं वा (याः) जो (स्वयंजाः) आप उत्पन्न हुए हैं (उत, वा) अथवा (समुद्रार्थाः) समुद्र के लिये हैं वा (याः) जो (शुचयः) पवित्र (पावकाः) पवित्र करनेवाले हैं (ताः) वह (देवीः) देदीप्यमान (आपः) जल (इह) इस संसार में (माम्) मेरी (अवन्तु) रक्षा करें ॥२॥
Connotation: - हे विद्वानो ! जैसे जल और प्राण हमारी अच्छे प्रकार रक्षा कर बढ़ावें, वैसे तुम लोग हम को बोध कराओ ॥२॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे मनुष्या ! या दिव्या आपस्स्रवन्ति उत वा खनित्रिमा जायन्ते याः स्वयंजा उत वा समुद्रार्थाः याः शुचयः पावकाः सन्ति ता देवीराप इह मामवन्तु ॥२॥

Word-Meaning: - (याः) (आपः) जलानि (दिव्याः) शुद्धाः (उत) अपि (वा) (स्रवन्ति) चलन्ति उत वा (खनित्रिमाः) याः खनित्रेण संजाताः (उत) (वा) (याः) (स्वयंजाः) स्वयंजाताः (समुद्रार्थाः) समुद्रायेमाः (याः) (शुचयः) पवित्राः (पावकाः) पवित्रकर्त्र्यः (ताः) (आपः) (देवीः) देदीप्यमानाः (इह) (माम्) (अवन्तु) ॥२॥
Connotation: - हे विद्वांसो ! यथा जलानि प्राणाश्चाऽस्मान् संरक्ष्य वर्धयेयुस्तथा यूयमस्मान् बोधयत ॥२॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे विद्वानांनो! जसे जल व प्राण आमचे रक्षण करून वृद्धी करतात तसा तुम्ही आम्हाला बोध करवा. ॥ २ ॥