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स॒मु॒द्रज्ये॑ष्ठाः सलि॒लस्य॒ मध्या॑त्पुना॒ना य॒न्त्यनि॑विशमानाः। इन्द्रो॒ या व॒ज्री वृ॑ष॒भो र॒राद॒ ता आपो॑ दे॒वीरि॒ह माम॑वन्तु ॥१॥

English Transliteration

samudrajyeṣṭhāḥ salilasya madhyāt punānā yanty aniviśamānāḥ | indro yā vajrī vṛṣabho rarāda tā āpo devīr iha mām avantu ||

Pad Path

स॒मु॒द्रऽज्ये॑ष्ठाः। स॒लि॒लस्य॑। मध्या॑त्। पु॒ना॒नाः। य॒न्ति॒। अनि॑ऽविशमानाः। इन्द्रः॑। या। व॒ज्री। वृ॒ष॒भः। र॒राद॑। ताः। आपः॑। दे॒वीः। इ॒ह। माम्। अ॒व॒न्तु॒ ॥१॥

Rigveda » Mandal:7» Sukta:49» Mantra:1 | Ashtak:5» Adhyay:4» Varga:16» Mantra:1 | Mandal:7» Anuvak:3» Mantra:1


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब चार ऋचावाले उनंचासवें सूक्त का प्रारम्भ है। उसके प्रथम मन्त्र में फिर वे जल कैसे हैं, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे विद्वानो ! (याः) जो ऐसी हैं कि (समुद्रज्येष्ठाः) जिन में समुद्र ज्येष्ठ है वे (पुनानाः) पवित्र करती हुईं (अनिविशमानाः) कहीं निवास न करनेवाली (आपः) जलतरङ्गें (सलिलस्य) अन्तरिक्ष के (मध्यात्) बीच से (यन्ति) जाती हैं वह (माम्) मेरी (इह) इस संसार में (अवन्तु) रक्षा करें और (ताः) उन (देवीः) प्रमोद करानेवाली जलतरङ्गों को (वृषभः) वर्षा करने वा (वज्री) वज्र के तुल्य छिन्न-भिन्न करनेवाला बहुत किरणों से युक्त (इन्द्रः) सूर्य वा बिजुली (रराद) वर्षाता है, वैसे तुम होओ ॥१॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है । हे मनुष्यो ! जो जल अन्तरिक्ष से बरस के सब की पालना करते हैं, उन का तुम पान आदि कामों में अच्छे प्रकार योग करो ॥१॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्ता आपः कीदृश्यः सन्तीत्याह ॥

Anvay:

हे विद्वांसो ! यास्समुद्रज्येष्ठाः पुनाना अनिविशमाना आपस्सलिलस्य मध्याद्यन्ति मामिहावन्तु ता देवीर्वृषभो वज्रीन्द्रो रराद तथा यूयं भवत ॥१॥

Word-Meaning: - (समुद्रज्येष्ठाः) समुद्रः ज्येष्ठो यासां ताः (सलिलस्य) अन्तरिक्षस्य (मध्यात्) (पुनानाः) पवित्रयन्त्यः (यन्ति) (अनिविशमानाः) याः कुत्रचिन्न निविशन्ते (इन्द्रः) सूर्यो विद्युद्वा (याः) (वज्री) वज्रतुल्यछेदकबहुकिरणयुक्तः (वृषभः) वर्षकः (रराद) विलिखति वर्षयति (ताः) (आपः) जलानि (देवीः) प्रमोदिकाः (इह) अस्मिन् संसारे (माम्) (अवन्तु) रक्षन्तु ॥१॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। हे मनुष्याः ! या आप अन्तरिक्षाद्वर्षित्वा सर्वान् पालयन्ति ता यूयं पानादिकार्येषु संप्रयुङ्ग्ध्वम् ॥ १ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

या सूक्तात जलाच्या गुण, कर्माचे वर्णन असल्यामुळे या सूक्ताच्या अर्थाची पूर्व सूक्तार्थाबरोबर संगती जाणावी.

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. हे माणसांनो ! जे जल अंतरिक्षातून वृष्टी करून सर्वांचे पालन करते त्याचे चांगल्या प्रकारे रक्षण करा. ॥ १ ॥