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मा नो॑ वधी रुद्र॒ मा परा॑ दा॒ मा ते॑ भूम॒ प्रसि॑तौ हीळि॒तस्य॑। आ नो॑ भज ब॒र्हिषि॑ जीवशं॒से यू॒यं पा॑त स्व॒स्तिभिः॒ सदा॑ नः ॥४॥

English Transliteration

mā no vadhī rudra mā parā dā mā te bhūma prasitau hīḻitasya | ā no bhaja barhiṣi jīvaśaṁse yūyam pāta svastibhiḥ sadā naḥ ||

Pad Path

मा। नः॒। व॒धीः॒। रु॒द्र॒। मा। परा॑। दाः॒। मा। ते॒। भू॒म॒। प्रऽसि॑तौ। ही॒ळि॒तस्य॑। आ। नः॒। भ॒ज॒। ब॒र्हिषि॑। जी॒व॒ऽशं॒से। यू॒यम्। पा॒त॒। स्व॒स्तिऽभिः॑। सदा॑। नः॒ ॥४॥

Rigveda » Mandal:7» Sukta:46» Mantra:4 | Ashtak:5» Adhyay:4» Varga:13» Mantra:4 | Mandal:7» Anuvak:3» Mantra:4


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर वह राजा कैसा हो, इस विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (रुद्र) दुष्टों को रुलानेवाले ! आप (नः) हम लोगों को (मा) मत (वधीः) मारो (मा) मत (परा, दाः) दूर हो और (हीळितस्य) अनादर किये हुए (ते) आपके (प्रसितौ) बन्धन में हम लोग (मा) मत (भूम) हों आप (जीवशंसे) जीवों से प्रशंसा करने योग्य (बर्हिषि) अन्तरिक्ष में (नः) हम लोगों को (आ, भज) अच्छे प्रकार सेवो, हे विद्वानो ! (यूयम्) तुम (स्वस्तिभिः) सुखों से (नः) हम लोगों की (सदा) सदा (पात) रक्षा करो ॥४॥
Connotation: - वही राजा वीर वा उत्तम हो जो धार्मिक जनों को अदण्ड =अदण्ड्य कर दुष्टों को दण्ड दे ॥४॥ इस सूक्त में रुद्र, राजा और पुरुषों के गुण और कामों का वर्णन होने से इस सूक्त के अर्थ की इससे पूर्व सूक्त के अर्थ के साथ सङ्गति जाननी चाहिये ॥ यह छ्यालीसवाँ सूक्त और तेरहवाँ वर्ग समाप्त हुआ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनः स राजा कीदृशः स्यादित्याह ॥

Anvay:

हे रुद्र ! त्वं नो मा वधीः मा परा दा हीळितस्य ते प्रसितौ वयं मा भूम त्वं जीवशंसे बर्हिषि नोऽस्माना भज, हे विद्वांसो ! यूयं स्वस्तिभिर्नः सदा पात ॥४॥

Word-Meaning: - (मा) (नः) अस्मान् (वधीः) हन्याः (रुद्र) (मा) (परा) (दाः) दूरे भवेः (मा) (ते) तव (भूम) भवेम (प्रसितौ) प्रकर्षेण बन्धने (हीळितस्य) अनादृतस्य (आ) (नः) अस्मान् (भज) सेवस्व (बर्हिषि) अन्तरिक्षे (जीवशंसे) जीवैः प्रशंसनीये (यूयम्) (पात) (स्वस्तिभिः) (सदा) (नः) ॥४॥
Connotation: - स एव राजा वीरो वोत्तमः स्यात् यो धार्मिकानदण्ड्यान् कृत्वा दुष्टान् दण्डयेदिति ॥४॥ अत्र रुद्रराजपुरुषगुणकृत्यवर्णनादेतदर्थस्य पूर्वसूक्तार्थेन सह सङ्गतिर्वेद्या ॥ इति षट्चत्वारिंशत्तमं सूक्तं त्रयोदशो वर्गश्च समाप्तः ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जो धार्मिक लोकांना दंड न देता दुष्टांना दंड देतो तोच राजा वीर किंवा उत्तम असतो. ॥ ४ ॥