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उ॒तेदानीं॒ भग॑वन्तः स्यामो॒त प्र॑पि॒त्व उ॒त मध्ये॒ अह्ना॑म्। उ॒तोदि॑ता मघव॒न्त्सूर्य॑स्य व॒यं दे॒वानां॑ सुम॒तौ स्या॑म ॥४॥

English Transliteration

utedānīm bhagavantaḥ syāmota prapitva uta madhye ahnām | utoditā maghavan sūryasya vayaṁ devānāṁ sumatau syāma ||

Pad Path

उत॑। इ॒दानी॑म्। भग॑ऽवन्तः। स्या॒म॒। उ॒त। प्र॒ऽपि॒त्वे। उ॒त। मध्ये॑। अह्ना॑म्। उ॒त। उत्ऽइ॑ता। म॒घ॒ऽव॒न्। सूर्य॑स्य। व॒यम्। दे॒वाना॑म्। सु॒ऽम॒तौ। स्या॒म॒ ॥४॥

Rigveda » Mandal:7» Sukta:41» Mantra:4 | Ashtak:5» Adhyay:4» Varga:8» Mantra:4 | Mandal:7» Anuvak:3» Mantra:4


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर मनुष्यों को किससे कैसा होना चाहिये, इस विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (मघवन्) परमपूजित ऐश्वर्य्य युक्त जगदीश्वर ! (इदानीम्) इस समय (उत) और (प्रपित्वे) उत्तमता से ऐश्वर्य्य की प्राप्ति समय में (उत) और (अह्नाम्) दिनों में (मध्ये) बीच (उत) और (सूर्यस्य) सूर्य लोक के (उदिता) उदय में (उत) और सायंकाल में (भगवन्तः) बहुत उत्तम ऐश्वर्ययुक्त (वयम्) हम लोग (स्याम) हों (देवानाम्) तथा आप्तविद्वानों की (सुमतौ) श्रेष्ठ मति में स्थिर हों ॥४॥
Connotation: - जो मनुष्य जगदीश्वर का आश्रय और आज्ञा पालन से विद्वानों के सङ्ग से अति पुरुषार्थी होकर धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की सिद्धि के लिये प्रयत्न करते हैं, वे सकलैश्वर्य युक्त होते हुए भूत, भविष्यत् और वर्त्तमान इन तीनों कालों में सुखी होते हैं ॥४॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्मनुष्यैः केन कीदृशैर्भवितव्यमित्याह ॥

Anvay:

हे मघवन् जगदीश्वरेदानीमुत प्रपित्व उताह्नां मध्य उत सूर्यस्योदितोतापि सायं भगवन्तो वयं स्याम देवानां सुमतौ स्याम ॥४॥

Word-Meaning: - (उत) (इदानीम्) वर्तमानसमये (भगवन्तः) बहूत्तमैश्वर्ययुक्ताः (स्याम) (उत) (प्रपित्वे) प्रकर्षेणैश्वर्यस्य प्राप्तौ (उत) (मध्ये) (अह्नाम्) दिनानाम् (उत) (उदिता) उदये (मघवन्) परमपूजितैश्वर्येश्वर (सूर्यस्य) सवितृलोकस्य (वयम्) (देवानाम्) आप्तानां विदुषाम् (सुमतौ) (स्याम) भवेम ॥४॥
Connotation: - ये मनुष्या जगदीश्वराश्रयाज्ञापालनेन विद्वत्सङ्गादतिपुरुषार्थिनो भूत्वा धर्मार्थकाममोक्षसिद्धये प्रयतन्ते ते सकलैश्वर्ययुक्ताः सन्तस्रिषु कालेषु सुखिनो भवन्ति ॥४॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जी माणसे जगदीश्वराचा आश्रय घेऊन आज्ञा पालन करून विद्वानांच्या संगतीने पुरुषार्थी बनतात व धर्म, अर्थ, काम मोक्षाच्या सिद्धीसाठी प्रयत्न करतात ती संपूर्ण ऐश्वर्ययुक्त होतात व भूत, भविष्य, वर्तमान या तिन्ही काळी सुखी होतात. ॥ ४ ॥