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वा॒सय॑सीव वे॒धस॒स्त्वं नः॑ क॒दा न॑ इन्द्र॒ वच॑सो बुबोधः। अस्तं॑ ता॒त्या धि॒या र॒यिं सु॒वीरं॑ पृ॒क्षो नो॒ अर्वा॒ न्यु॑हीत वा॒जी ॥६॥

English Transliteration

vāsayasīva vedhasas tvaṁ naḥ kadā na indra vacaso bubodhaḥ | astaṁ tātyā dhiyā rayiṁ suvīram pṛkṣo no arvā ny uhīta vājī ||

Pad Path

वा॒सय॑सिऽइव। वे॒धसः॑। त्वम्। नः॒। क॒दा। नः॒। इ॒न्द्र॒। वच॑सः। बु॒बो॒धः॒। अस्त॑म्। ता॒त्या। धि॒या। र॒यिम्। सु॒ऽवीर॑म्। पृ॒क्षः। नः॒। अर्वा॑। नि। उ॒ही॒त॒। वा॒जी ॥६॥

Rigveda » Mandal:7» Sukta:37» Mantra:6 | Ashtak:5» Adhyay:4» Varga:4» Mantra:1 | Mandal:7» Anuvak:3» Mantra:6


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर विद्वानों को क्या करना चाहिये, इस विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (इन्द्र) सुख देनेवाले ! (त्वम्) आप (तात्या) व्याप्त परमेश्वर में उत्तमता से स्थिर होनेवाली (धिया) बुद्धि से (नः) हम (वेधसः) बुद्धिमान् जनों को (वासयसीव) वसाते हुए से (नः) हमारे (वचसः) वचन को (कदा) कब (बुबोधः) जानोगे (वाजी) विज्ञानवान् आप (अर्वा) घोड़े के समान (नः) हम लोगों को (सुवीरम्) जिससे अच्छे-अच्छे वीर जन होते हैं उस (रयिम्) धन को कब (नि, उहीत) प्राप्त करियेगा और हमारे (अस्तम्) घर को प्राप्त होकर (पृक्षः) सम्पर्क करने योग्य अन्न कब सेवोगे ॥६॥
Connotation: - इस मन्त्र में उपमालङ्कार है । सब मनुष्य विद्वानों के प्रति ऐसी प्रार्थना करें, आप लोग हमें कब विद्वान् करके धन-धान्य, स्थान आदि पदार्थ और ऐश्वर्य्य को प्राप्त करावेंगे ॥६॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्विद्वद्भिः किं कर्तव्यमित्याह ॥

Anvay:

हे इन्द्र ! त्वं तात्या धिया नोऽस्मान् वेधसो वासयसीव नोऽस्माकं वचसः कदा बुबोधः वाज्यर्वा स नु नोऽस्मान् सुवीरं रयिं कदा न्युहीतास्माकमस्तं प्राप्य पृक्षः कदा सेवयेः ॥६॥

Word-Meaning: - (वासयसीव) (वेधसः) मेधाविनः (त्वम्) (नः) अस्मान् (कदा) (नः) अस्माकम् (इन्द्र) सुखप्रद (वचसः) वचनस्य (बुबोधः) बुद्ध्याः (अस्तम्) गृहम् (तात्या) या तते परमेश्वरे साध्वी तया (धिया) प्रज्ञया (रयिम्) धनम् (सुवीरम्) शोभना वीरा यस्मात्तम् (पृक्षः) सम्पर्चनीयमन्नम् (नः) अस्मान् (अर्वा) अश्व इव (नि) (उहीत) वहेत् (वाजी) विज्ञानवान् ॥६॥
Connotation: - अत्रोपमालङ्कारः । सर्वे मनुष्या विदुषः प्रत्येवं प्रार्थयेयुर्भवन्तोऽस्मान् कदा विदुषः कृत्वा धनधान्यस्थानाद्यैश्वर्यं प्रापयिष्यन्तीति ॥६॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात उपमालंकार आहे. सर्व माणसांनी विद्वानांना अशी प्रार्थना करावी की, तुम्ही आम्हाला कधी विद्वान करून धन, धान्य, स्थान इत्यादी पदार्थ व ऐश्वर्य प्राप्त करून द्याल? ॥ ६ ॥