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प्र वो॑ म॒हीम॒रम॑तिं कृणुध्वं॒ प्र पू॒षणं॑ विद॒थ्यं१॒॑ न वी॒रम्। भगं॑ धि॒यो॑ऽवि॒तारं॑ नो अ॒स्याः सा॒तौ वाजं॑ राति॒षाचं॒ पुरं॑धिम् ॥८॥

English Transliteration

pra vo mahīm aramatiṁ kṛṇudhvam pra pūṣaṇaṁ vidathyaṁ na vīram | bhagaṁ dhiyo vitāraṁ no asyāḥ sātau vājaṁ rātiṣācam puraṁdhim ||

Pad Path

प्र। वः॒। म॒हीम्। अ॒रम॑तिम्। कृ॒णु॒ध्व॒म्। प्र। पू॒षण॑म्। वि॒द॒थ्य॑म्। न। वी॒रम्। भग॑म्। धि॒यः। अ॒वि॒तार॑म्। नः॒। अ॒स्याः। सा॒तौ। वाज॑म्। रा॒ति॒ऽसाच॑म्। पुर॑म्ऽधिम् ॥८॥

Rigveda » Mandal:7» Sukta:36» Mantra:8 | Ashtak:5» Adhyay:4» Varga:2» Mantra:3 | Mandal:7» Anuvak:3» Mantra:8


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर विद्वान् जन और विद्यार्थी परस्पर कैसे वर्तें, इस विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे विद्वानो ! जैसे तुम (नः) हमारी (पूषणम्) पुष्टि करनेवाले (विदथ्यम्) संग्रामों में उत्तम (वीरम्) शूरता आदि गुणों से युक्त जन के (न) समान (वः) तुम्हारी (अरमतिम्) पूर्णमति (महीम्) बड़ी वाणी (भगम्) ऐश्वर्य्य (धियः) बुद्धियों और (अवितारम्) बढ़ानेवाले (अस्याः) इस बुद्धिमात्र के तथा (सातौ) अच्छे भाग में (पुरन्धिम्) बहुत सुख धारण करनेवाले (रातिषाचम्) दानसम्बन्धि (वाजम्) विज्ञान को (प्र, कृणुध्वम्) अच्छे प्रकार सिद्ध करो, वैसे इन को हम लोग भी (प्र) सिद्ध करें ॥८॥
Connotation: - इस मन्त्र में उपमालङ्कार है । जैसे विद्वान् जन अध्यापक और उपदेशक सब की बुद्धि आयु विद्या की वृद्धि और शूरवीरों के समान सर्वदा रक्षा करते हैं, वैसे उन की सेवा और सत्कार सब को सदा करने योग्य हैं ॥८॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्विद्वद्विद्यार्थिनः परस्परं कथं वर्तेरन्नित्याह ॥

Anvay:

हे विद्वांसो ! यथा यूयं नः पूषणं विदथ्यं वीरं न वोऽरमतिं महीं भगं धियोऽवितारमस्याः सातौ पुरन्धिं रातिषाचं वाजं च प्र कृणुध्वं तथा चैतान् वयमपि प्रकुर्याम ॥८॥

Word-Meaning: - (प्र) (वः) युष्माकम् (महीम्) महतीं वाचम् (अरमतिम्) अलं प्रज्ञाम् (कृणुध्वम्) (प्र) (पूषणम्) (विदथ्यम्) विदथेषु संग्रामेषु साधुम् (न) इव (वीरम्) शौर्यादिगुणोपेतम् (भगम्) ऐश्वर्यम् (धियः) प्रज्ञाः (अवितारम्) वर्धयितारम् (नः) अस्माकम् (अस्याः) (सातौ) संभक्तौ (वाजम्) विज्ञानम् (रातिषाचम्) दानसम्बन्धिनम् (पुरन्धिम्) बहुसुखधरम् ॥८॥
Connotation: - अत्रोपमावाचकलुप्तोपमालङ्कारः। यथा विद्वांसोऽध्यापका उपदेशकाश्च सर्वेषां बुद्ध्यायुर्विद्यावृद्धिं शूरवीरवत् सर्वदा रक्षणं च कुर्वन्ति तथा तेषां सेवासत्कारौ सर्वैस्सदा कार्यौ ॥८॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात उपमालंकार आहे. जसे विद्वान लोक अध्यापक व उपदेशक सर्वांची बुद्धी, आयु विद्येत वाढ व शूरवीरांप्रमाणे सदैव रक्षण करतात तशा लोकांची सर्वांनी सदैव सेवा व सत्कार करावा. ॥ ८ ॥