Go To Mantra

उ॒त त्ये नो॑ म॒रुतो॑ मन्दसा॒ना धियं॑ तो॒कं च॑ वा॒जिनो॑ऽवन्तु। मा नः॒ परि॑ ख्य॒दक्ष॑रा॒ चर॒न्त्यवी॑वृध॒न्युज्यं॒ ते र॒यिं नः॑ ॥७॥

English Transliteration

uta tye no maruto mandasānā dhiyaṁ tokaṁ ca vājino vantu | mā naḥ pari khyad akṣarā caranty avīvṛdhan yujyaṁ te rayiṁ naḥ ||

Pad Path

उ॒त। त्ये। नः॒। म॒रुतः॑। म॒न्द॒सा॒नाः। धिय॑म्। तो॒कम्। च॒। वा॒जिनः॑। अ॒व॒न्तु॒। मा। नः॒। परि॑। ख्य॒त्। अक्ष॑रा। चर॑न्ती। अवी॑वृधन्। युज्य॑म्। ते। र॒यिम्। नः॒ ॥७॥

Rigveda » Mandal:7» Sukta:36» Mantra:7 | Ashtak:5» Adhyay:4» Varga:2» Mantra:2 | Mandal:7» Anuvak:3» Mantra:7


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

कौन विद्वान् जन श्रेष्ठ होते हैं, इस विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - (त्ये) वे (वाजिनः) प्रशंसित विज्ञानवाले (मन्दसानाः) कामना करते हुए (मरुतः) विद्वान् जन (नः) हमारी (धियम्) बुद्धि को (उत) और (तोकम्) सन्तान को (च) भी (अवन्तु) बढ़ावें जैसे (चरन्ती) प्राप्त होती हुई (अक्षरा) अविनाशिनी वाणी (नः) हम लोगों को (मा) मत (परि, ख्यत्) सब ओर से वर्जे, वैसे (नः) हम लोगों के सम्बन्ध में (ते) आप के (युज्यम्) योग्य (रयिम्) धन को (अवीवृधन्) बढ़ावें ॥७॥
Connotation: - वे ही विद्वान् जन अति उत्तम हैं, जो सब के पुत्र और कन्याओं को ब्रह्मचर्य्य से रक्षा कर और बढ़ा कर उत्तम ज्ञाता करते हैं ॥७॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

के विद्वांसो वरा भवन्तीत्याह ॥

Anvay:

त्ये वाजिनो मन्दसाना मरुतो नो धियमुत तोकं चावन्तु यथा चरन्त्यक्षरा वाक् नो मा परिख्यत् तथा नस्ते तव च युज्यं रयिमवीवृधन् ॥७॥

Word-Meaning: - (उत) (त्ये) (नः) अस्माकम् (मरुतः) विद्वांसो मनुष्याः (मन्दसानाः) कामयमाना आनन्दितास्सन्तः (धियम्) प्रज्ञाम् (तोकम्) अपत्यम् (च) (वाजिनः) प्रशस्तविज्ञानवन्तः (अवन्तु) वर्धयन्तु (मा) (नः) अस्मान् (परि) सर्वतः (ख्यत्) वर्जयेत् (अक्षरा) अविनाशिनी सकलविद्याव्यापिनी (चरन्ती) प्राप्नुवन्ती (अवीवृधन्) वर्धयन्तु (युज्यम्) योक्तुमर्हम् (ते) तव (रयिम्) धनम् (नः) अस्माकम् ॥७॥
Connotation: - त एव विद्वांसोऽत्युत्तमास्सन्ति ये सर्वेषां पुत्रान् पुत्रीश्च ब्रह्मचर्येण संरक्ष्य वर्धयित्वा प्राज्ञाः कुर्वन्ति ॥७॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - जे सर्वांच्या पुत्र व कन्यांचे ब्रह्मचर्याने रक्षण करून व वाढवून उत्तम ज्ञानवान बनवितात तेच विद्वान अति उत्तम असतात. ॥ ७ ॥