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शं नः॒ सोमो॑ भवतु॒ ब्रह्म॒ शं नः॒ शं नो॒ ग्रावा॑णः॒ शमु॑ सन्तु य॒ज्ञाः। शं नः॒ स्वरू॑णां मि॒तयो॑ भवन्तु॒ शं नः॑ प्र॒स्वः१॒॑ शम्व॑स्तु॒ वेदिः॑ ॥७॥

English Transliteration

śaṁ naḥ somo bhavatu brahma śaṁ naḥ śaṁ no grāvāṇaḥ śam u santu yajñāḥ | śaṁ naḥ svarūṇām mitayo bhavantu śaṁ naḥ prasvaḥ śam v astu vediḥ ||

Pad Path

शम्। नः॒। सोमः॑। भ॒व॒तु॒। ब्रह्म॑। शम्। नः॒। शम्। नः॒। ग्रावा॑णः। शम्। ऊँ॒ इति॑। स॒न्तु॒। य॒ज्ञाः। शम्। नः॒। स्वरू॑णाम्। मि॒तयः॑। भ॒व॒न्तु॒। शम्। नः॒। प्र॒ऽस्वः॑। शम्। ऊँ॒ इति॑। अ॒स्तु॒। वेदिः॑ ॥७॥

Rigveda » Mandal:7» Sukta:35» Mantra:7 | Ashtak:5» Adhyay:3» Varga:29» Mantra:2 | Mandal:7» Anuvak:3» Mantra:7


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर विद्वानों को किन उपायों से जगत् का उपकार करना योग्य है, इस विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे जगदीश्वर वा विद्वान् ! आपकी कृपा और पढ़ाने से (सोमः) चन्द्रमा (नः) हम लोगों के लिये (शम्) सुखरूप (भवतु) हो (ब्रह्म) धन वा अन्न (नः) हमारे लिये (शम्) सुखरूप हो (ग्रावाणः) मेघ (नः) हम लोगों के लिये (शम्) सुखरूप (सन्तु) हों (यज्ञाः) अग्निहोत्र को आदि ले =अग्निहोत्र से लेकर शिल्प यज्ञ पर्य्यन्त (नः) हम लोगों के लिये (शम्, च) सुखरूप ही हों (स्वरूणाम्) यज्ञशाला के स्तम्भ शब्दों के (मितयः) प्रमाण हमारे लिये (शम्) सुखरूप (भवन्तु) हों (प्रस्वः) जो उत्पन्न होती है वह ओषधि (नः) हमारे लिये (शम्) सुखरूप हों और (वेदिः) कुण्ड आदि हमारे लिये (शम्, उ) सुख ही (अस्तु) हो ॥७॥
Connotation: - जो मनुष्य विद्या, ओषधी, धन और यज्ञादि से जगत् का सुख के साथ उपकार करते हैं, वे अतुल सुख पाते हैं ॥७॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्विद्वद्भिः कैरुपायैर्जगदुपकारः कर्तव्य इत्याह ॥

Anvay:

हे जगदीश्वर वा विद्वन् ! भवत्कृपाध्यापनाभ्यां सोमो नश्शं भवतु ब्रह्म नः शं भवतु ग्रावाणो नः शं सन्तु यज्ञा नः शमु सन्तु स्वरूणां मितयो नः शं भवन्तु प्रस्वो नश्शं भवन्तु वेदिः नः शम्वस्तु ॥७॥

Word-Meaning: - (शम्) (नः) (सोमः) चन्द्रः (भवतु) (ब्रह्म) धनमन्नं वा (शम्) (नः) (शम्) (नः) (ग्रावाणः) मेघाः (शम्) (उ) (सन्तु) (यज्ञाः) अग्निहोत्रादयः शिल्पान्ताः (शम्) (नः) (स्वरूणाम्) यज्ञशालास्तम्भशब्दानाम् (मितयः) (भवन्तु) (शम्) (नः) (प्रस्वः) याः प्रसूयन्ते ता ओषधयः (शम्) (उ) (अस्तु) (वेदिः) कुण्डादिकम् ॥७॥
Connotation: - ये मनुष्या विद्यौषधीधनयज्ञादिभ्यः जगत्सुखेनोपकुर्वन्ति तेऽप्यतुलं सुखं लभन्ते ॥७॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जी माणसे विद्या, औषधी, धन, यज्ञ इत्यादींनी जगाच्या सुखासाठी उपकार करतात, ती अतुल सुख प्राप्त करतात. ॥ ७ ॥