Go To Mantra

वि॒दुः पृ॑थि॒व्या दि॒वो ज॒नित्रं॑ शृ॒ण्वन्त्यापो॒ अध॒ क्षर॑न्तीः ॥२॥

English Transliteration

viduḥ pṛthivyā divo janitraṁ śṛṇvanty āpo adha kṣarantīḥ ||

Pad Path

वि॒दुः। पृ॒थि॒व्याः। दि॒वः। ज॒नित्र॑म्। शृ॒ण्वन्ति॑। आपः॑। अध॑। क्षर॑न्तीः ॥२॥

Rigveda » Mandal:7» Sukta:34» Mantra:2 | Ashtak:5» Adhyay:3» Varga:25» Mantra:2 | Mandal:7» Anuvak:3» Mantra:2


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर वे कन्या किस-किस विद्या को जानें, इस विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - जो कन्या (अधः, क्षरन्तीः) नीचे को गिरते वर्षते हुए जलों के समान विद्या (शृण्वन्ति) सुनती हैं वे (पृथिव्याः) पृथिवी और (दिवः) सूर्य के (जनित्रम्) कारण को (विदुः) जानें ॥२॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। जैसे मेघमण्डल से जल वेग से पृथिवी को पाकर प्रजा आनन्दित होते हैं, वैसे जो कन्या पढ़ानेवाली से भूगर्भादि विद्या को पाकर पति आदि को निरन्तर सुख देती हैं, वे अत्यन्त श्रेष्ठ होती हैं ॥२॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्ताः कन्याः कां कां विद्यां जानीयुरित्याह ॥

Anvay:

याः कन्या अधः क्षरन्तीराप इव विद्याः शृण्वन्ति ताः पृथिव्या दिवो जनित्रं विदुः ॥२॥

Word-Meaning: - (विदुः) जानीयुः (पृथिव्याः) भूमेः (दिवः) सूर्यस्य (जनित्रम्) जनकं कारणम् (शृण्वन्ति) (आपः) जलानीव (अधः) (क्षरन्तीः) वर्षन्त्यः ॥२॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। यथा मेघमण्डलादापो वेगेन पृथिवीं प्राप्य प्रजा आनन्दन्ति तथैव याः कन्या अध्यापिकाभ्यो भूगर्भादिविद्याः प्राप्य पत्यादीन् सततं सुखयन्ति ताः श्रेष्ठतरा भवन्ति ॥२॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. जसे मेघमंडळातून जल वेगाने पृथ्वीवर येते व प्रजा आनंदित होते तसे ज्या कन्या अध्यापिकांकडून भूगर्भविद्या इत्यादी प्राप्त करून पतींना निरंतर सुख देतात त्या अत्यंत श्रेष्ठ असतात. ॥ २ ॥