Go To Mantra

अवी॑न्नो अ॒ग्निर्ह॒व्यान्नमो॑भिः॒ प्रेष्ठो॑ अस्मा अधायि॒ स्तोमः॑ ॥१४॥

English Transliteration

avīn no agnir havyān namobhiḥ preṣṭho asmā adhāyi stomaḥ ||

Pad Path

अवी॑त्। नः॒। अ॒ग्निः। ह॒व्य॒ऽअत्। नमः॑ऽभिः। प्रेष्ठः॑। अ॒स्मै॒। अ॒धा॒यि॒। स्तोमः॑ ॥१४॥

Rigveda » Mandal:7» Sukta:34» Mantra:14 | Ashtak:5» Adhyay:3» Varga:26» Mantra:4 | Mandal:7» Anuvak:3» Mantra:14


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर वह राजा क्या करे, इस विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - जिस राजा ने (अस्मै) इस राज्य के लिये (प्रेष्ठः) अतीव प्रिय (स्तोमः) प्रशंसा व्यवहार (अधायि) धारण किया गया जो (हव्यात्) होम करने योग्य अन्न भोजन करनेवाले (अग्निः) अग्नि के समान वर्त्तमान राजा (नमोभिः) अन्नादि पदार्थों से (नः) हम लोगों की (अवीत्) रक्षा करे, वही हम लोगों को सत्कार करने योग्य है ॥१४॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है । जैसे सूर्य स्वप्रकाश से सब की रक्षा करता है, वैसे राजा न्याय के प्रकाश से सब प्रजा की रक्षा करे ॥१४॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनः स राजा किं कुर्यादित्याह ॥

Anvay:

येन राज्ञाऽस्मै राष्ट्राय प्रेष्ठः स्तोमोऽधायि यो हव्यादाग्निरिव राजा नमोभिर्नोऽस्मान् अवीत् स एवास्माभिः सत्कर्तव्योऽस्ति ॥१४॥

Word-Meaning: - (अवीत्) रक्षेत् (नः) अस्मान् (अग्निः) पावक इव (हव्यात्) यो हव्यान्यत्ति सः (नमोभिः) अन्नादिभिः (प्रेष्ठः) अतिशयेन प्रियः (अस्मै) (अधायि) ध्रियते (स्तोमः) प्रशंसाव्यवहारः ॥१४॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। यथा सूर्यस्स्वप्रकाशेन सर्वान्रक्षति तथा राजा न्यायप्रकाशेन सर्वाः प्रजा रक्षेत् ॥१४॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. जसा सूर्य स्वप्रकाशाने सर्वांचे रक्षण करतो तसे राजाने न्याय प्रकाशाने सर्व प्रजेचे रक्षण करावे. ॥ १४ ॥