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वि॒द्युतो॒ ज्योतिः॒ परि॑ सं॒जिहा॑नं मि॒त्रावरु॑णा॒ यदप॑श्यतां त्वा। तत्ते॒ जन्मो॒तैकं॑ वसिष्ठा॒गस्त्यो॒ यत्त्वा॑ वि॒श आ॑ज॒भार॑ ॥१०॥

English Transliteration

vidyuto jyotiḥ pari saṁjihānam mitrāvaruṇā yad apaśyatāṁ tvā | tat te janmotaikaṁ vasiṣṭhāgastyo yat tvā viśa ājabhāra ||

Pad Path

वि॒ऽद्युतः॑। ज्योतिः॑। परि॑। स॒म्ऽजिहा॑नम्। मि॒त्रावरु॑णा। यत्। अप॑श्यताम्। त्वा॒। तत्। ते॒। जन्म॑। उ॒त। एक॑म्। व॒सि॒ष्ठ॒। अ॒गस्त्यः॑। यत्। त्वा॒। वि॒शः। आ॒ऽज॒भार॑ ॥१०॥

Rigveda » Mandal:7» Sukta:33» Mantra:10 | Ashtak:5» Adhyay:3» Varga:23» Mantra:5 | Mandal:7» Anuvak:2» Mantra:10


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर विद्वान् जन कैसे हों, इस विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (वसिष्ठ) प्रशंसायुक्त विद्वान् ! जो (अगस्त्यः) निर्दोष जन (ते) आपकी (विशः) प्रजाओं को (आ, जभार) सब ओर से धारण करता (उत) और (एकम्) एक (जन्म) जन्म को सब ओर से धारण करता और (त्वा) आप को सब ओर से धारण करता तथा (यत्) जिस (विद्युतः) बिजुली को (संजिहानम्) अधिकार त्याग करते हुए (ज्योतिः) प्रकाश को (मित्रावरुणा) अध्यापक और उपदेशक (परि, अपश्यताम्) सब ओर देखते हैं (त्वा) आपको इस विद्या की प्राप्ति कराते हैं, उस समस्त विषय को आप ग्रहण करें ॥१०॥
Connotation: - जिस मनुष्य का विद्या में जन्म प्रादुर्भाव होता है, उसकी बुद्धि बिजुली की ज्योति के समान सकल विद्याओं को धारण करती है ॥१०॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्विद्वांसः कीदृशा भवेयुरित्याह ॥

Anvay:

हे वसिष्ठ ! योऽगस्त्यस्ते विश आजभार उताप्येकं जन्मा जभार उताऽपि त्वाऽऽजभार यद्विद्युतस्संजिहानं ज्योतिर्मित्रावरुणा पर्यपश्यतां त्वैतद्विद्यां प्रापयतस्तदेतत्सर्वं त्वं गृहाण ॥१०॥

Word-Meaning: - (विद्युतः) (ज्योतिः) प्रकाशम् (परि) सर्वतः (संजिहानम्) अधिकरणं त्यजन् (मित्रावरुणा) अध्यापकोपदेशकौ (यत्) यः (अपश्यताम्) पश्यतः (त्वा) त्वाम् (तत्) (ते) तव (जन्म) (उत) अपि (एकम्) (वसिष्ठ) प्रशस्त विद्वन् (अगस्त्यः) अस्तदोषः (यत्) यम् (त्वा) त्वाम् (विशः) प्रजाः (आ,जभार) समन्ताद्बिभर्ति ॥१०॥
Connotation: - यस्य मनुष्यस्य विद्यायां जन्मप्रादुर्भावो भवति तत्प्रज्ञा विद्युज्ज्योतिरिव सकला विद्या बिभर्ति ॥१०॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - ज्या माणसाचा विद्याप्राप्ती करून (नवीन) जन्म होतो त्याची बुद्धी विद्युत ज्योतीप्रमाणे सर्व विद्या धारण करते. ॥ १० ॥