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स वी॒रो अप्र॑तिष्कुत॒ इन्द्रे॑ण शूशुवे॒ नृभिः॑। यस्ते॑ गभी॒रा सव॑नानि वृत्रहन्त्सु॒नोत्या च॒ धाव॑ति ॥६॥

English Transliteration

sa vīro apratiṣkuta indreṇa śūśuve nṛbhiḥ | yas te gabhīrā savanāni vṛtrahan sunoty ā ca dhāvati ||

Pad Path

सः। वी॒रः। अप्र॑तिऽस्कुतः। इन्द्रे॑ण। शू॒शु॒वे॒। नृऽभिः॑। यः। ते॒। ग॒भी॒रा। सव॑नानि। वृ॒त्र॒ऽह॒न्। सु॒नोति॑। आ। च॒। धाव॑ति ॥६॥

Rigveda » Mandal:7» Sukta:32» Mantra:6 | Ashtak:5» Adhyay:3» Varga:18» Mantra:1 | Mandal:7» Anuvak:2» Mantra:6


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर मनुष्य किनके साथ क्या करे, इस विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (वृत्रहन्) शत्रुओं को मारनेवाले ! (यः) जो (ते) आपका (अप्रतिष्कुतः) इधर उधर से निष्कंप (वीरः) निर्भय पुरुष (इन्द्रेण) परमैश्वर्य और (नृभिः) नायक मनुष्यों के साथ (शूशुवे) समीप आता है (गभीरा) गम्भीर (सवनानि) प्रेरणाओं को (सुनोति) उत्पन्न करता है शीघ्र (आ, धावति, च) दौड़ता है (सः) वही शत्रुओं को जीत सकता है ॥६॥
Connotation: - जो उत्तम पुरुषों के साथ सब ओर से मित्रता और दुष्टों के साथ वैमनस्य रखते हैं, वे असंख्य ऐश्वर्य पाते हैं ॥६॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्मनुष्यः कैः सह किं कुर्यादित्याह ॥

Anvay:

हे वृत्रहन् ! यस्तेऽप्रतिष्कुतो वीरो इन्द्रेण नृभिः सह शूशुवे गभीरा सवनानि सुनोति सद्य आधावति च स एव शत्रून् विजेतुं शक्नोति ॥६॥

Word-Meaning: - (सः) (वीरः) निर्भयः (अप्रतिष्कुतः) इतस्ततः कम्परहितः (इन्द्रेण) परमैश्वर्येण (शूशुवे) उपगच्छति (नृभिः) नायकैर्मनुष्यैः (यः) (ते) तव (गभीरा) गभीराणि (सवनानि) प्रेरणानि (वृत्रहन्) शत्रुहन्तः (सुनोति) (आ) (च) (धावति) ॥६॥
Connotation: - य उत्तमैः पुरुषैः सहाऽभिसन्धिं दुष्टैः सह वैमनस्यं रक्षन्ति तेऽसंख्यमैश्वर्यमाप्नुवन्ति ॥६॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जे उत्तम पुरुषांबरोबर मैत्री ठेवतात व दुष्टांबरोबर वैमनस्य करतात ते अमाप ऐश्वर्य प्राप्त करतात. ॥ ६ ॥