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इ॒म इन्द्रा॑य सुन्विरे॒ सोमा॑सो॒ दध्या॑शिरः। ताँ आ मदा॑य वज्रहस्त पी॒तये॒ हरि॑भ्यां या॒ह्योक॒ आ ॥४॥

English Transliteration

ima indrāya sunvire somāso dadhyāśiraḥ | tām̐ ā madāya vajrahasta pītaye haribhyāṁ yāhy oka ā ||

Pad Path

इ॒मे। इन्द्रा॑य। सु॒न्वि॒रे॒। सोमा॑सः। दधि॑ऽआशिरः। तान्। आ। मदा॑य। व॒ज्र॒ऽह॒स्त॒। पी॒तये॑। हरि॑ऽभ्याम्। या॒हि॒। ओकः॑। आ ॥४॥

Rigveda » Mandal:7» Sukta:32» Mantra:4 | Ashtak:5» Adhyay:3» Varga:17» Mantra:4 | Mandal:7» Anuvak:2» Mantra:4


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर राजा आदि क्या आचरण करें, इस विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (वज्रहस्त) शस्त्र और अस्त्रों को हाथ में रखनेवाले ! जो (इमे) यह (दध्याशिरः) धारण करने और व्याप्त होनेवाले (सोमासः) प्रेरक जन (मदाय) आनन्द और (इन्द्राय) परमैश्वर्य के लिये तथा (पीतये) पीने को (सुन्विरे) अच्छे रसों को उत्पन्न करते हैं (तान्) उनको (हरिभ्याम्) अच्छी सीख पाये हुए घोड़ों से युक्त रथ से (आ, याहि) आओ शुभ (ओकः) स्थान को (आ) प्राप्त होओ ॥४॥
Connotation: - जो पुरुषार्थ से विद्याओं को प्राप्त होकर उद्यम करते हैं, वे राज्यश्री को प्राप्त होते हैं ॥४॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुना राजादयः किमाचरेयुरित्याह ॥

Anvay:

हे वज्रहस्त ! य इमे दध्याशिरः सोमासो जना मदायेन्द्राय पीतये सुन्विरे महौषधिरसान् सुन्विरे तान् हरिभ्यां युक्तेन रथेनाऽऽयाहि शुभमोक आयाहि ॥४॥

Word-Meaning: - (इमे) (इन्द्राय) परमैश्वर्याय (सुन्विरे) सुन्वन्त्युत्पादयन्ति (सोमासः) प्रेरकाः (दध्याशिरः) ये दधत्यश्नन्ति ते (तान्) (आ) (मदाय) आनन्दाय (वज्रहस्त) शस्त्रास्त्रपाणे (पीतये) पानाय (हरिभ्याम्) सुशिक्षिताभ्यामश्वाभ्यां युक्ते रथेन (याहि) प्राप्नुहि (ओकः) गृहम् (आ) समन्तात् ॥४॥
Connotation: - ये पुरुषार्थेन विद्याः प्राप्योद्यमं कुर्वन्ति ते राज्यश्रियं लभन्ते ॥४॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जे पुरुषार्थाने विद्या प्राप्त करतात व उद्योग करतात ते राज्यश्री प्राप्त करतात. ॥ ४ ॥