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न त्वावाँ॑ अ॒न्यो दि॒व्यो न पार्थि॑वो॒ न जा॒तो न ज॑निष्यते। अ॒श्वा॒यन्तो॑ मघवन्निन्द्र वा॒जिनो॑ ग॒व्यन्त॑स्त्वा हवामहे ॥२३॥

English Transliteration

na tvāvām̐ anyo divyo na pārthivo na jāto na janiṣyate | aśvāyanto maghavann indra vājino gavyantas tvā havāmahe ||

Pad Path

न। त्वाऽवा॑न्। अ॒न्यः। दि॒व्यः। न। पार्थि॑वः। न। जा॒तः। न। ज॒नि॒ष्य॒ते॒। अ॒श्व॒ऽयन्तः॑। म॒घ॒ऽव॒न्। इ॒न्द्र॒। वा॒जिनः॑। ग॒व्यन्तः॑। त्वा॒। ह॒वा॒म॒हे॒ ॥२३॥

Rigveda » Mandal:7» Sukta:32» Mantra:23 | Ashtak:5» Adhyay:3» Varga:21» Mantra:3 | Mandal:7» Anuvak:2» Mantra:23


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

परमेश्वर के तुल्य वा अधिक कोई नहीं है, इस विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (मघवन्) बहुधनयुक्त (इन्द्र) परम ऐश्वर्य देनेवाले जगदीश्वर ! जिससे कोई पदार्थ (न) न (त्वावान्) आपके सदृश (अन्यः) और (दिव्यः) शुद्धस्वरूप पदार्थ है (न) न (पार्थिवः) पृथिवी पर जाना हुआ है (न) न (जातः) उत्पन्न हुआ है (न) न (जनिष्यते) उत्पन्न होगा इससे (त्वा) आपकी (अश्वायन्तः) महान् विद्वानों की कामना करनेवाले (वाजिनः) विज्ञान और अन्नवाले और (गव्यन्तः) अपने को उत्तम वाणी वा उत्तम भूमि की इच्छा करनेवाले हम लोग (हवामहे) प्रशंसा करते हैं ॥२३॥
Connotation: - हे मनुष्यो ! जिस कारण परमेश्वर से तुल्य अधिक अन्य पदार्थ कोई नहीं न उत्पन्न हुआ न कभी भी उत्पन्न होगा, इससे ही उसकी उपासना और प्रशंसा हम लोग नित्य करें ॥२३॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

परमेश्वरेण तुल्योऽधिको वा कोऽपि नास्तीत्याह ॥

Anvay:

हे मघवन्निन्द्र ! यतः कोऽपि पदार्थो न त्वावानन्यो दिव्यः पदार्थोऽस्ति न पार्थिवोऽस्ति न जातोऽस्ति न जनिष्यते तस्मात्त्वाऽश्वायन्तो वाजिनो गव्यन्तो वयं हवामहे ॥२३॥

Word-Meaning: - (न) निषेधे (त्वावान्) त्वया सदृशः (अन्यः) (दिव्यः) शुद्धस्वरूपः (नः) (पार्थिवः) पृथिव्यां विदितः (न) (जातः) उत्पन्नः (न) (जनिष्यते) उत्पत्स्यते (अश्वायन्तः) महतो विदुषः कामयमानाः (मघवन्) बहुधनयुक्त (इन्द्र) परमैश्वर्यप्रद जगदीश्वर (वाजिनः) विज्ञानाऽन्नवन्तः (गव्यन्तः) आत्मनो गां सुशिक्षितां वाचमुत्तमां भूमिं वेच्छन्तः (त्वा) त्वाम् (हवामहे) प्रशंसामहे ॥२३॥
Connotation: - हे मनुष्या ! यस्मात्परमेश्वरेण तुल्योऽधिकोऽन्यः पदार्थः कोऽपि नास्ति नोत्पन्न आसीन्न चैव कदाचिदुत्पत्स्यते तस्मादेव तस्योपासनं प्रशंसां च वयं नित्यं कुर्याम ॥२३॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे माणसांनो ! ज्या परमेश्वराची कोणत्याही पदार्थाबरोबर तुलना होऊ शकत नाही किंवा कधी होणार नाही. त्यामुळेच आम्ही त्याची उपासना व प्रशंसा नित्य करावी. ॥ २३ ॥