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न दु॑ष्टु॒ती मर्त्यो॑ विन्दते॒ वसु॒ न स्रेध॑न्तं र॒यिर्न॑शत्। सु॒शक्ति॒रिन्म॑घव॒न् तुभ्यं॒ माव॑ते दे॒ष्णं यत्पार्ये॑ दि॒वि ॥२१॥

English Transliteration

na duḥṣṭutī martyo vindate vasu na sredhantaṁ rayir naśat | suśaktir in maghavan tubhyam māvate deṣṇaṁ yat pārye divi ||

Pad Path

न। दुः॒ऽस्तु॒ती। मर्त्यः॑। वि॒न्द॒ते॒। वसु॑। न। स्रेध॑न्तम्। र॒यिः। न॒श॒त्। सु॒ऽशक्तिः॑। इत्। म॒घ॒ऽव॒न्। तुभ्य॑म्। माऽव॑ते। दे॒ष्णम्। यत्। पार्ये॑। दि॒वि ॥२१॥

Rigveda » Mandal:7» Sukta:32» Mantra:21 | Ashtak:5» Adhyay:3» Varga:21» Mantra:1 | Mandal:7» Anuvak:2» Mantra:21


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर मनुष्य धन की प्राप्ति के लिये क्या-क्या कर्म करें, इस विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (मघवन्) परमपूजित धनयुक्त ! जैसे (मर्त्यः) मनुष्य (दुष्टुती) दुष्ट प्रशंसा से (वसु) धन को (न) न (विन्दते) प्राप्त होता है (स्रेधन्तम्) और हिंसा करनेवाले मनुष्य को (रयिः) लक्ष्मी और (सुशक्तिः) सुन्दर शक्ति (इत्) ही (न) नहीं (नशत्) प्राप्त होती है इस प्रकार (मावते) मेरे समान (तुभ्यम्) तुम्हारे लिये (पार्ये) पालना वा पूर्णता करने के योग्य (दिवि) काम में (यत्) जो (देष्णम्) देने योग्य को न प्राप्त होता वह और को भी नहीं प्राप्त होता है ॥२१॥
Connotation: - जो अधर्माचरण से युक्त दुष्ट, हिंसक मनुष्य हैं उनको धन, राज्य, और उत्तम सामर्थ्यं नहीं प्राप्त होता है, इससे सबको न्याय के आचरण से ही धन खोजना चाहिये ॥२१॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्मनुष्या धनप्राप्तये किं किं कर्म कुर्य्युरित्याह ॥

Anvay:

हे मघवन् ! यथा मर्त्यो दुष्टुती वसु न विन्दते स्रेधन्तं नरं रयिः सुशक्तिरिन्न नशदेवं मावते तुभ्यं पार्ये दिवि यद्देष्णं न नशत् तदन्यमपि न प्राप्नोति ॥२१॥

Word-Meaning: - (न) निषेधे (दुष्टुती) दुष्टया प्रशंसया (मर्त्यः) मनुष्यः (विन्दते) प्राप्नोति (वसु) धनम् (न) निषेधे (स्रेधन्तम्) हिंसन्तम् (रयिः) श्रीः (नशत्) प्राप्नोति (सुशक्तिः) शोभना चासौ शक्तिश्च सुशक्तिः (इत्) एव (मघवन्) परमपूजितधनयुक्त (तुभ्यम्) (मावते) मत्सदृशाय (देष्णम्) दातुं योग्यम् (यत्) (पार्ये) पालयितुं पूरयितुं योग्ये (दिवि) कामे ॥२१॥
Connotation: - येऽधर्माचारा दुष्टा हिंस्रा मनुष्याः सन्ति तान् धनं राज्यं श्रीरुत्तमं सामर्थ्यं च न प्राप्नोति तस्मात् सर्वैर्न्यायाचारेणैव धनमन्वेषणीयम् ॥२१॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जी अधर्माचरणी, दुष्ट, हिंसक माणसे असतात त्यांना धन, राज्य, श्री व उत्तम सामर्थ्य प्राप्त होत नाही. त्यामुळे सर्वांनी न्यायाचरणाने धनाचा शोध घेतला पाहिजे. ॥ २१ ॥