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इ॒मे हि ते॑ ब्रह्म॒कृतः॑ सु॒ते सचा॒ मधौ॒ न मक्ष॒ आस॑ते। इन्द्रे॒ कामं॑ जरि॒तारो॑ वसू॒यवो॒ रथे॒ न पाद॒मा द॑धुः ॥२॥

English Transliteration

ime hi te brahmakṛtaḥ sute sacā madhau na makṣa āsate | indre kāmaṁ jaritāro vasūyavo rathe na pādam ā dadhuḥ ||

Pad Path

इ॒मे। हि। ते॒। ब्र॒ह्म॒ऽकृतः॑। सु॒ते। सचा॑। मधौ॑। न। मक्षः॑। आस॑ते। इन्द्रे॑। काम॑म्। ज॒रि॒तारः॑। व॒सु॒ऽयवः॑। रथे॑। न। पाद॑म्। आ। द॒धुः॒ ॥२॥

Rigveda » Mandal:7» Sukta:32» Mantra:2 | Ashtak:5» Adhyay:3» Varga:17» Mantra:2 | Mandal:7» Anuvak:2» Mantra:2


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर किसके समीप कौन बसें, इस विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे राजन् ! (ते) आपके जो (इमे) यह (ब्रह्मकृतः) धन वा अन्न को सिद्ध करने (वसूयवः) धनों की कामना करने (जरितारः) और सत्य की स्तुति करनेवाले जन (सुते) उत्पन्न किये हुए (मधौ) मधुरादिगुणयुक्त स्थान में (मक्षः) मक्खियों के (न) समान (सचा) सम्बन्ध से (आसते) उपस्थित होते हैं (इन्द्रे) परमैश्वर्यवान् आप में (रथे) रमणीय यान में (पादम्) पैर जैसे धरें (न) वैसे (कामम्) कामना को (आ, दधुः) सब ओर से धारण करते हैं, वे (हि) ही सुखी होते हैं ॥२॥
Connotation: - इस मन्त्र में उपमालङ्कार है। जो विद्वान् राजा धर्मात्मा न्यायकारी हो तो इसके समीप में बहुत धार्मिक विद्वान् हों ॥२॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनः कस्य समीपे के वसेयुरित्याह ॥

Anvay:

हे राजंस्ते य इमे ब्रह्मकृतो वसूयवो जरितारः सुते मधौ मक्षो न सचासते। इन्द्रे त्वयि रथे पादं न काममा दधुस्ते हि सुखिनो जायन्ते ॥२॥

Word-Meaning: - (इमे) (हि) खलु (ते) तत्र (ब्रह्मकृतः) ये ब्रह्म धनमन्नं वा कुर्वन्ति ते (सुते) निष्पादिते (सचा) समवायेन (मधौ) मधुरादिगुणयुक्ते (न) इव (मक्षः) मक्षिकाः (आसते) उपतिष्ठन्ति (इन्द्रे) परमैश्वर्यवति विदुषि राजनि (कामम्) (जरितारः) सत्यस्तावकाः (वसूयवः) वसूनि धनानि कामयमानाः (रथे) रमणीये याने (न) इव (पादम्) चरणम् (आ) समन्तात् (दधुः) धरन्ति ॥२॥
Connotation: - अत्रोपमालङ्कारः । यो विद्वान्राजा धर्मात्मा न्यायकारी स्यात्तर्ह्यस्य समीपे बहवो धार्मिका विद्वांसो भवेयुः ॥२॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात उपमालंकार आहे. जर विद्वान राजा धार्मिक, न्यायी असेल तर त्याच्याजवळ पुष्कळ धार्मिक विद्वान असतात. ॥ २ ॥