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म॒हाँ उ॒तासि॒ यस्य॒ तेऽनु॑ स्व॒धाव॑री॒ सहः॑। म॒म्नाते॑ इन्द्र॒ रोद॑सी ॥७॥

English Transliteration

mahām̐ utāsi yasya te nu svadhāvarī sahaḥ | mamnāte indra rodasī ||

Pad Path

म॒हान्। उ॒त। अ॒सि॒। यस्य॑। ते। अनु॑। स्व॒धाव॑री॒ इति॑ स्व॒धाऽव॑री। सहः॑। म॒म्नाते॒ इति॑। इ॒न्द्र॒। रोद॑सी॒ इति॑ ॥७॥

Rigveda » Mandal:7» Sukta:31» Mantra:7 | Ashtak:5» Adhyay:3» Varga:16» Mantra:1 | Mandal:7» Anuvak:2» Mantra:7


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसकी विद्या और विनय क्या करें, इस विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (इन्द्र) राजा ! जैसे (महान्) बड़ा सूर्य है, वैसे (यस्य) जिनके सकाश से (स्वधावरी) बहुत अन्न की देनेवाली (रोदसी) आकाश और पृथिवी (अनु, मम्नाते) अनुकूलता से अभ्यास करते हैं उन (ते) आपके, वैसे ही सेना और राज्य हों (उत) और जिससे आप महान् (असि) हैं इससे (सहः) बल को ग्रहण कर निर्बलों को पालो ॥७॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है । जिस राजा की प्रजा और सेना धार्मिक और सुरक्षित हों, उसका सूर्य के समान प्रताप होता है ॥७॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तस्य विद्याविनये किं कुर्यातामित्याह ॥

Anvay:

हे इन्द्र ! यथा महान् सूर्योऽस्ति तथा यस्य सकाशात् स्वधावरी रोदसी अनु मम्नाते तस्य ते तथैव सेनाराष्ट्रे स्यातामुताऽपि यतस्त्वं महानसि तस्मात् सहो गृहीत्वा निर्बलान् पालय ॥७॥

Word-Meaning: - (महान्) (उत) अपि (असि) (यस्य) (ते) तव (अनु) (स्वधावरी) बह्वन्नादिप्रदे (सहः) बलम् (मम्नाते) अभ्यासाते (इन्द्र) राजन् (रोदसी) द्यावापृथिव्यौ ॥७॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। यस्य राज्ञः प्रजासेने धार्मिके सुरक्षिते स्तस्तस्य सूर्यवत्प्रतापो भवति ॥७॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. ज्या राजाची प्रजा व सेना धार्मिक व सुरक्षित असेल त्याचा प्रताप सूर्याप्रमाणे असतो. ॥ ७ ॥