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यु॒जे रथं॑ ग॒वेष॑णं॒ हरि॑भ्या॒मुप॒ ब्रह्मा॑णि जुजुषा॒णम॑स्थुः। वि बा॑धिष्ट॒ स्य रोद॑सी महि॒त्वेन्द्रो॑ वृ॒त्राण्य॑प्र॒ती ज॑घ॒न्वान् ॥३॥

English Transliteration

yuje rathaṁ gaveṣaṇaṁ haribhyām upa brahmāṇi jujuṣāṇam asthuḥ | vi bādhiṣṭa sya rodasī mahitvendro vṛtrāṇy apratī jaghanvān ||

Pad Path

यु॒जे। रथ॑म्। गो॒ऽएष॑णम्। हरि॑ऽभ्याम्। उप॑। ब्रह्मा॑णि। जु॒जु॒षा॒णम्। अ॒स्थुः॒। वि। बा॒धि॒ष्ट॒। स्यः। रोद॑सी॒ इति॑। म॒हि॒ऽत्वा। इन्द्रः॑। वृ॒त्राणि॑। अ॒प्र॒ति। ज॒घ॒न्वान् ॥३॥

Rigveda » Mandal:7» Sukta:23» Mantra:3 | Ashtak:5» Adhyay:3» Varga:7» Mantra:3 | Mandal:7» Anuvak:2» Mantra:3


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर क्या करके वीर संग्राम में जावें, इस विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे सेनेश ! जैसे (इन्द्रः) सूर्य (महित्वा) अपने महान् परिमाण से (रोदसी) आकाश और पृथिवी को प्रकाशित करता है, वैसे जिस (ब्रह्माणि) धन धान्य पदार्थों को (जुजुषाणम्) सेवते हुए (रथम्) प्रशंसनीय रथ को वीरजन (उपास्थुः) उपस्थित होते हैं जिससे शूरवीर जन शत्रुओं को (वि, बाधिष्ट) विविध प्रकार से विलोवें पीड़ा दें उसको (अप्रति) अप्रत्यक्ष अर्थात् पीछे भी (जघन्वान्) मारनेवाला (स्यः) वह मैं (गवेषणम्) भूमि पर पहुँचानेवाले रथ को (हरिभ्याम्) हरणशील घोड़ों से (युजे) जोड़ता हूँ जिससे (वृत्राणि) धनों को प्राप्त होऊँ ॥३॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है । हे शूरवीरो ! जब आप लोग युद्ध के लिये जावें तब सामग्री को पूरी करके जावें, जिससे शत्रुओं को शीघ्र बाधा पीड़ा हो और विजय को भी प्राप्त हो ॥३॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनः किं कृत्वा वीराः सङ्ग्रामे गच्छेयुरित्याह ॥

Anvay:

हे सेनेश ! यथेन्द्रो महित्वा रोदसी प्रकाशयति तथायं ब्रह्माणि जुजुषाणं रथं वीरा उपास्थुर्येन शूरवीराः शत्रून् विबाधिष्ट तमप्रति जघन्वान् स्योऽहं गवेषणं रथं हरिभ्यां युजे वृत्राणि प्राप्नुयाम् ॥३॥

Word-Meaning: - (युजे) युनज्मि (रथम्) प्रशस्तं यानम् (गवेषणम्) गां भूमिं प्रापकम् (हरिभ्याम्) अश्वाभ्याम् (उप) धनधान्यानि (जुजुषाणम्) सेवमानम् (अस्थुः) तिष्ठन्तु (वि) (बाधिष्ट) बाधयन्तु (स्यः) सः (रोदसी) द्यावापृथिव्यौ (महित्वा) महिम्ना (इन्द्रः) सूर्यः (वृत्राणि) धनानि (अप्रति) अप्रत्यक्षेऽपि (जघन्वान्) हन्ता ॥३॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। हे शूरवीरा ! यदा भवन्तो युद्धाय गच्छेयुस्तदा सर्वां सामग्रीमलंकृत्य यान्तु येन शत्रूणां बाधा सद्यः स्याद्विजयैश्वर्यं च प्राप्नुयात् ॥३॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. हे शूरवीरांनो ! जेव्हा तुम्ही युद्धासाठी जाता तेव्हा संपूर्ण सामानासह जावे. ज्यामुळे शत्रूंना ताबडतोब बाधा निर्माण होऊन तुम्ही विजयी व्हाल. ॥ ३ ॥