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बोधा॒ सु मे॑ मघव॒न्वाच॒मेमां यां ते॒ वसि॑ष्ठो॒ अर्च॑ति॒ प्रश॑स्तिम्। इ॒मा ब्रह्म॑ सध॒मादे॑ जुषस्व ॥३॥

English Transliteration

bodhā su me maghavan vācam emāṁ yāṁ te vasiṣṭho arcati praśastim | imā brahma sadhamāde juṣasva ||

Pad Path

बोध॑। सु। मे॒। म॒घ॒ऽव॒न्। वाच॑म्। आ। इ॒माम्। याम्। ते॒। वसि॑ष्ठः। अर्च॑ति। प्रऽश॑स्तिम्। इ॒मा। ब्रह्म॑। स॒ध॒ऽमादे॑। जु॒ष॒स्व॒ ॥३॥

Rigveda » Mandal:7» Sukta:22» Mantra:3 | Ashtak:5» Adhyay:3» Varga:5» Mantra:3 | Mandal:7» Anuvak:2» Mantra:3


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर मनुष्यों में कैसे वर्तें, इस विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (मघवन्) प्रशंसित धनवाले विद्वान् ! आप (याम्) जिस (ते) आपके विषय की (प्रशस्तिम्) प्रशंसित वाणी को (वसिष्ठः) अतीव वसनेवाला (आ, अर्चति) अच्छे प्रकार सत्कृत करता है (इमाम्) इस (मे) मेरी (वाचम्) वाणी को आप (सु, बोध) अच्छे प्रकार जानो उससे (सधमादे) एक से स्थान में (इमा) इन (ब्रह्म) धन वा अन्नों का (जुषस्व) सेवन करो ॥३॥
Connotation: - वही विद्वान् उत्तम है, जो जिस प्रकार की उत्तम शास्त्र विषय में बुद्धि अपने लिये चाहे, उसी को औरों के लिये चाहे और जो-जो उत्तम अपने लिये पदार्थ हो, उसे पराये के लिये भी जाने ॥३॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्मनुष्येषु कथं वर्तेतेत्याह ॥

Anvay:

हे मघवन्विद्वँस्त्वं यान्ते प्रशस्तिं वसिष्ठ आर्चति तामिमां मे वाचं त्वं सु बोध सधमाद इमा ब्रह्म जुषस्व ॥३॥

Word-Meaning: - (बोध) जानीहि (सु) (मे) मम (मघवन्) प्रशंसितधनयुक्त (वाचम्) (आ) (इमाम्) (याम्) (ते) तव (वसिष्ठः) (अर्चति) (प्रशस्तिम्) प्रशंसितारम् (इमा) इमानि (ब्रह्म) धनान्यन्नानि वा (सधमादे) समानस्थाने (जुषस्व) ॥३॥
Connotation: - स एव विद्वानुत्तमोऽस्ति यो यादृशीं प्रज्ञां शास्त्रविषयेषु प्रवीणां स्वार्थमिच्छेत्तामेवाऽन्यार्थामिच्छेत् यद्यदुत्तमं वस्तु स्वार्थं तत्परार्थे च जानीयात् ॥३॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जो उत्तम शास्त्र जाणण्यासाठी उत्तम बुद्धीची इच्छा करतो तशीच इतरांसाठीही केल्यास खरा विद्वान ठरतो. जे जे पदार्थ आपल्यासाठी उत्तम असतात ते इतरांसाठीही असतात हे जाणावे. ॥ ३ ॥