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दे॒वाश्चि॑त्ते असु॒र्या॑य॒ पूर्वेऽनु॑ क्ष॒त्राय॑ ममिरे॒ सहां॑सि। इन्द्रो॑ म॒घानि॑ दयते वि॒षह्येन्द्रं॒ वाज॑स्य जोहुवन्त सा॒तौ ॥७॥

English Transliteration

devāś cit te asuryāya pūrve nu kṣatrāya mamire sahāṁsi | indro maghāni dayate viṣahyendraṁ vājasya johuvanta sātau ||

Pad Path

दे॒वाः। चि॒त्। ते॒। अ॒सु॒र्या॑य। पूर्वे॑। अनु॑। क्ष॒त्राय॑। म॒मि॒रे॒। सहां॑सि। इन्द्रः॑। म॒घानि॑। द॒य॒ते॒। वि॒ऽसह्य॑। इन्द्र॑म्। वाज॑स्य। जो॒हु॒व॒न्त॒। सा॒तौ ॥७॥

Rigveda » Mandal:7» Sukta:21» Mantra:7 | Ashtak:5» Adhyay:3» Varga:4» Mantra:2 | Mandal:7» Anuvak:2» Mantra:7


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर वह राजा क्या करे, इस विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे विद्वान् ! जो (पूर्वे) पहिले विद्या ग्रहण किये हुए (देवाः) विद्वान् जन (ते) आप के (असुर्याय) मेघ में उत्पन्न हुए के लिये और (क्षत्राय) राज्य वा धन के लिये (सहांसि) बलों का (अनु, ममिरे) निरन्तर अनुमान करते जो (चित्) भी (इन्द्रः) सूर्य के समान राजा (मघानि) प्रशंसा करने योग्य धनों को (दयते) ग्रहण करता वा जो (वाजस्य) प्राप्त हुए व्यवहार के (सातौ) संविभाग में (इन्द्रम्) परमैश्वर्य्य को (विषह्य) विशेष सह करके परमैश्वर्य को (जोहुवन्त) निरन्तर ग्रहण करते हैं, उनका आप सत्कार करो ॥७॥
Connotation: - वे ही विद्वान् जन श्रेष्ठ होते हैं, जो सबों में दया का विधान और सत्य शास्त्रों का उपदेश कर बलों को बढ़ाते हैं, वे ही पिता के समान सत्कार करने योग्य होते हैं ॥७॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनः स राजा किं कुर्यादित्याह ॥

Anvay:

हे विद्वन् ! ये पूर्वे देवास्तेऽसुर्याय क्षत्राय सहांस्यनु ममिरे यश्चिदपीन्द्रो मघानि दयते ये वाजस्य साताविन्द्रं जोहुवन्त ताँस्त्वं सत्कुरु ॥७॥

Word-Meaning: - (देवाः) विद्वांसः (चित्) अपि (ते) तव (असुर्याय) असुरे मेघे भवाय (पूर्वे) प्रथमतो विद्यां गृहीतवन्तः (अनु) (क्षत्राय) राज्याय धनाय वा (ममिरे) निर्मिमते (सहांसि) बलानि (इन्द्रः) सूर्य इव राजा (मघानि) पूजनीयानि धनानि (दयते) दयां करोति (विषह्य) विशेषेण सोढ्वा (इन्द्रम्) परमैश्वर्यम् (वाजस्य) प्राप्तस्य (जोहुवन्त) भृशमाददति (सातौ) संविभागे ॥७॥
Connotation: - ते एव विद्वांसो वरा भवन्ति ये सर्वेषु दयां विधाय सत्यशास्त्राण्युपदिश्य बलानि वर्धयन्ति त एव पितेव पूजनीया भवन्ति ॥७॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जे सर्वांवर दया करतात व सत्य शास्त्रांचा उपदेश करून बल वाढवितात तेच विद्वान श्रेष्ठ असून पित्याप्रमाणे सत्कार करण्यायोग्य असतात. ॥ ७ ॥