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प्र ये गृ॒हादम॑मदुस्त्वा॒या प॑राश॒रः श॒तया॑तु॒र्वसि॑ष्ठः। न ते॑ भो॒जस्य॑ स॒ख्यं मृ॑ष॒न्ताधा॑ सू॒रिभ्यः॑ सु॒दिना॒ व्यु॑च्छान् ॥२१॥

English Transliteration

pra ye gṛhād amamadus tvāyā parāśaraḥ śatayātur vasiṣṭhaḥ | na te bhojasya sakhyam mṛṣantādhā sūribhyaḥ sudinā vy ucchān ||

Pad Path

प्र। ये। गृ॒हात्। अम॑मदुः। त्वा॒ऽया। प॒रा॒ऽश॒रः। श॒तऽया॑तुः। वसि॑ष्ठः। न। ते॒। भो॒जस्य॑। स॒ख्यम्। मृ॒ष॒न्त॒। अध॑। सू॒रिऽभ्यः॑। सु॒ऽदिना॑। वि। उ॒च्छा॒न् ॥२१॥

Rigveda » Mandal:7» Sukta:18» Mantra:21 | Ashtak:5» Adhyay:2» Varga:28» Mantra:1 | Mandal:7» Anuvak:2» Mantra:21


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फि राजा के सहाय से प्रजाजन क्या करें, इस विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे राजन् (ये) जो (त्वाया) तुम्हारी नीति के साथ (गृहात्) घर से (अममदुः) आनन्दित होते हैं वा (शतयातुः) जो सैकड़ों के साथ जाता है जो (वसिष्ठः) अतीव वसनेवाला और जो (पराशरः) दुष्टों का हिंसक आनन्दित होता है (ते) वे (भोजस्य) भोगने और पालन करने की (सख्यम्) मित्रता को (न) नहीं (प्र, मृषन्त) सहते हैं (अध) इसके अनन्तर जो (सूरिभ्यः) विद्वानों से (सुदिना) सुखयुक्त दिनों में (व्युच्छान्) निरन्तर वसें, वे तुमको सदा सत्कार करने योग्य हैं ॥२१॥
Connotation: - जिसकी विद्या, विनय और सुशीलता से सब गृहस्थ आदि मनुष्य आनन्दित हों और जो औरों का उत्कर्ष देखकर पीड़ित होते हैं और जो विद्वानों से सर्वदैव सुन्दर शिक्षा लेते हैं, वे सब सुख पाते हैं ॥२१॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुना राजसहायेन प्रजाः किं कुर्य्युरित्याह ॥

Anvay:

हे राजन् ! ये त्वाया गृहादममदुः शतयातुर्वसिष्ठः पराशर आनन्देत्ते भोजस्य सख्यं न प्र मृषन्ताऽध ये सूरिभ्यः सुदिना व्युच्छाँस्ते त्वया सत्कर्त्तव्याः सन्ति ॥२१॥

Word-Meaning: - (प्र) (ये) (गृहात्) (अममदुः) हर्षन्ति (त्वाया) तव नीत्या (पराशरः) दुष्टानां हिंसकः (शतयातुः) यः शतैः सह याति (वसिष्ठः) अतिशयेन वसुः (न) निषेधे (ते) (भोजस्य) पालनस्य भोजनस्य वा (सख्यम्) मित्रत्वम् (मृषन्त) सहन्ते (अध) आनन्तर्ये। अत्र निपातस्य चेति दीर्घः। (सूरिभ्यः) विद्वद्भ्यः (सुदिना) सुखयुक्तानि दिनानि (वि) (उच्छान्) निवसेयुः ॥२१॥
Connotation: - यस्य विद्याविनयसुशीलताभिः सर्वे गृहस्थादयो मनुष्या आनन्देयुर्ये चान्योत्कर्षं दृष्ट्वा परितपन्ति ये हि विद्वद्भ्यः सदा सुशिक्षां गृह्णन्ति ते सर्वाणि सुखानि प्राप्नुवन्ति ॥२१॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - ज्याच्या विद्या, विनय व सुशीलतेने सर्व माणसे आनंदित होतात, इतर लोक उत्कर्ष पाहून दुःखी होतात व जे विद्वानांकडून सदैव चांगले शिक्षण घेतात ते सर्व सुख प्राप्त करतात. ॥ २१ ॥