Go To Mantra

नि ग॒व्यवोऽन॑वो द्रु॒ह्यव॑श्च ष॒ष्टिः श॒ता सु॑षुपुः॒ षट् स॒हस्रा॑। ष॒ष्टिर्वी॒रासो॒ अधि॒ षड् दु॑वो॒यु विश्वेदिन्द्र॑स्य वी॒र्या॑ कृ॒तानि॑ ॥१४॥

English Transliteration

ni gavyavo navo druhyavaś ca ṣaṣṭiḥ śatā suṣupuḥ ṣaṭ sahasrā | ṣaṣṭir vīrāso adhi ṣaḍ duvoyu viśved indrasya vīryā kṛtāni ||

Pad Path

नि। ग॒व्यवः॑। अन॑वः। दु॒ह्यवः॑। च॒। ष॒ष्टिः। श॒ता। सु॒सु॒पुः॒। षट्। स॒हस्रा॑। ष॒ष्टिः। वी॒रासः॑। अधि॑। षट्। दु॒वः॒ऽयु। विश्वा॑। इत्। इन्द्र॑स्य। वी॒र्या॑। कृ॒तानि॑ ॥१४॥

Rigveda » Mandal:7» Sukta:18» Mantra:14 | Ashtak:5» Adhyay:2» Varga:26» Mantra:4 | Mandal:7» Anuvak:2» Mantra:14


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

राजादि मनुष्यों से कितना बल बढ़वाना चाहिये, इस विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - जिन्होंने (इन्द्रस्य) परमैश्वर्ययुक्त राजा के (विश्वा) समस्त (इत्) ही (वीर्या) पराक्रम (कृतानि) उत्पन्न किये वे (गव्यवः) अपने को भूमि चाहते (द्रुह्यवः) और दुष्ट अधर्मी जनों को मारने की इच्छा करते हुए (अनवः, षष्टिः, वीरासः) साठ वीर अर्थात् शरीर और आत्मा के बल और शूरता से युक्त मनुष्य (षट् सहस्रा) छः सहस्र शत्रुओं को (अधि) अधिकता से जीतते हैं वे (च) भी (षट्, षष्टिः, शता) छासठ सैंकड़े शत्रु (दुवोयु) जो सेवन की कामना करता है, उसके लिये (नि, सुषुपुः) निरन्तर सोते हैं ॥१४॥
Connotation: - जहाँ राजा और प्रजा सेनाओं में प्रजा और सेना बिजुली के समान पूरण बल और पराक्रम युक्त सेना को बढ़वाते हैं, वहाँ साठ योद्धा छः हजार शत्रुओं को भी जीत सकते हैं ॥१४॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

राजादिमनुष्यैः कियद्बलं वर्धयितव्यमित्याह ॥

Anvay:

यैरिन्द्रस्य विश्वेद् वीर्या कृतानि ते गव्यवो द्रुह्यवोऽनवः षष्टिर्वीरासः षट्सहस्रा शत्रूनधिविजयन्ते ते च षट्षष्टिः शता शत्रवः दुवोयु निसुषुपुः ॥१४॥

Word-Meaning: - (नि) नितराम् (गव्यवः) आत्मनो गां भूमिमिच्छवः (अनवः) मनुष्याः। अनव इति मनुष्यनाम। (निघं०२.३)। (द्रुह्यवः) ये दुष्टानधार्मिकान् द्रुह्यन्ति जिघांसन्ति (षष्टिः) (शता) शतानि (सुषुपुः) स्वपेयुः (षट्) (सहस्रा) सहस्राणि (षष्टिः) एतत्संख्याकाः (वीरासः) शरीरात्मबलशौर्योपेताः (अधि) (षट्) (दुवोयु) यो दुवः परिचरणं कामयते तस्मै (विश्वा) सर्वाणि (इत्) एव (इन्द्रस्य) परमैश्वर्ययुक्तस्य राज्ञः (वीर्या) वीर्याणि (कृतानि) निष्पादितानि ॥१४॥
Connotation: - यत्र राजा प्रजासेनयोः प्रजासेने च विद्युदिव पूरणबलां पराक्रमयुक्तां सेनां वर्द्धयन्ति तत्र षष्टिरपि योद्धारो षट् सहस्राण्यपि शत्रून् विजेतुं शक्नुवन्ति ॥१४॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - जेथे राजा व प्रजा विद्युतप्रमाणे बल व पराक्रमयुक्त सेना वर्धित करतात तेथे साठ योद्धे सहा हजार शत्रूंना जिंकू शकतात. ॥ १४ ॥