Go To Mantra

अग्ने॑ वी॒हि ह॒विषा॒ यक्षि॑ दे॒वान्त्स्व॑ध्व॒रा कृ॑णुहि जातवेदः ॥३॥

English Transliteration

agne vīhi haviṣā yakṣi devān svadhvarā kṛṇuhi jātavedaḥ ||

Pad Path

अग्ने॑। वी॒हि। ह॒विषा॑। यक्षि॑। दे॒वान्। सु॒ऽअ॒ध्व॒रा। कृ॒णु॒हि॒। जा॒त॒ऽवे॒दः॒ ॥३॥

Rigveda » Mandal:7» Sukta:17» Mantra:3 | Ashtak:5» Adhyay:2» Varga:23» Mantra:3 | Mandal:7» Anuvak:1» Mantra:3


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (जातवेदः) विद्या को प्राप्त (अग्ने) अग्नि के तुल्य तीव्रबुद्धिवाले विद्यार्थिन् ! तू विद्युत् के तुल्य (हविषा) ग्रहण किये पुरुषार्थ से विद्याओं को (वीहि) प्राप्त हो (देवान्) विद्वान् अध्यापकों का (यक्षि) सङ्ग कर और (स्वध्वरा) सुन्दर अहिंसारूप व्यवहारवाले कामों को (कृणुहि) कर ॥३॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है । विद्यार्थिजन जैसे विद्युत् मार्ग को शीघ्र व्याप्त होते, वैसे पुरुषार्थ से शीघ्र विद्याओं को प्राप्त हों और अध्यापक पुरुष उनको शीघ्र विद्वान् करें ॥३॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे जातवेदोऽग्ने विद्याथिँस्त्वं विद्युदिव हविषा विद्या वीहि देवान् यक्षि स्वध्वरा कृणुहि ॥३॥

Word-Meaning: - (अग्ने) वह्निरिव तीव्रप्रज्ञ (वीहि) व्याप्नुहि (हविषा) आदत्तेन पुरुषार्थेन (यक्षि) यज सङ्गच्छस्व (देवान्) विदुषोऽध्यापकान् (स्वध्वरा) शोभनोऽध्वरोऽहिंसामयो व्यवहारो येषां तान् (कृणुहि) (जातवेदः) जातविद्य ॥३॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। विद्यार्थिनो यथा विद्युदध्वानं सद्यो व्याप्नोति तथा पुरुषार्थेन शीघ्रं विद्याः प्राप्नुवन्त्वध्यापकाश्च ताँस्तूर्णं विदुषः कुर्वन्तु ॥३॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. जशी विद्युत शीघ्र मार्ग व्यापते तशी विद्यार्थ्यांनी शीघ्रतेने व पुरुषार्थाने विद्या ग्रहण करावी. अध्यापकांनी त्यांना शीघ्र विद्वान करावे. ॥ ३ ॥