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उद॑स्य शो॒चिर॑स्थादा॒जुह्वा॑नस्य मी॒ळ्हुषः॑। उद्धू॒मासो॑ अरु॒षासो॑ दिवि॒स्पृशः॒ सम॒ग्निमि॑न्धते॒ नरः॑ ॥३॥

English Transliteration

ud asya śocir asthād ājuhvānasya mīḻhuṣaḥ | ud dhūmāso aruṣāso divispṛśaḥ sam agnim indhate naraḥ ||

Pad Path

उत्। अ॒स्य॒। शो॒चिः। अ॒स्था॒त्। आ॒ऽजुह्वा॑नस्य। मी॒ळ्हुषः॑। उत्। धू॒मासः॑। अ॒रु॒षासः॑। दि॒वि॒ऽस्पृशः॑। सम्। अ॒ग्निम्। इ॒न्ध॒ते॒। नरः॑ ॥३॥

Rigveda » Mandal:7» Sukta:16» Mantra:3 | Ashtak:5» Adhyay:2» Varga:21» Mantra:3 | Mandal:7» Anuvak:1» Mantra:3


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर वह अग्नि कैसा है, इस विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - जो (नरः) मनुष्य जिस (आजुह्वानस्य) अच्छे प्रकार होम किये द्रव्य को प्राप्त (मीळ्हुषः) सेचक (अस्य) इस अग्नि का (शोचिः) दीप्ति (उदस्थात्) उठती है (दिविस्पृशः) प्रकाश में स्पर्श करनेवाले (धूमासः) धूम और (अरुषासः) अरुणवर्ण लपटें (उत्) उठती हैं उस (अग्निम्) अग्नि को (समिन्धते) सम्यक् प्रकाशित करते हैं, वे उन्नति को प्राप्त होते हैं ॥३॥
Connotation: - हे मनुष्यो ! तुम लोग ऊर्ध्वगामी धूमध्वजावाले तेजोमय वृष्टि आदि से प्रजा के रक्षक अग्नि को सम्यक् प्रयुक्त करो, जिस से तुम्हारे कार्यों की सिद्धि होवे ॥३॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनः सोऽग्निः कीदृशोऽस्तीत्याह ॥

Anvay:

ये नरो यस्याऽऽजुह्वानस्य मीळ्हुषोऽस्याग्नेः शोचिरुदस्थाद्दिविस्पृशो धूमासोऽरुषास उत्तिष्ठन्ते तमग्निं समिन्धते त उन्नतिं प्राप्नुवन्ति ॥३॥

Word-Meaning: - (उत्) (अस्य) अग्नेः (शोचिः) दीप्तिः (अस्थात्) उत्तिष्ठते (आजुह्वानस्य) समन्तात् प्राप्तहुतद्रव्यस्य (मीळ्हुषः) सेचकस्य (उत्) (धूमासः) (उरुषासः) ज्वालाः (दिविस्पृशः) ये दिवि स्पृशन्ति (सम्) (अग्निम्) (इन्धते) (नरः) मनुष्याः ॥३॥
Connotation: - हे मनुष्या ! यूयमूर्ध्वगामिनं धूमध्वजं तेजोमयं वृष्ट्यादिना प्रजापालकमग्निं सम्प्रयुङ्ध्वं येन युष्माकं कामसिद्धिः स्यात् ॥३॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे माणसांनो! तुम्ही ऊर्ध्वगामी धूमध्वजायुक्त तेजोमय वृष्टी इत्यादीने प्रजेचा रक्षक असलेल्या अग्नीला सम्यक् प्रयुक्त करा. ज्यामुळे तुमच्या कार्याची सिद्धी व्हावी. ॥ ३ ॥