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त्वम॑ग्ने वी॒रव॒द्यशो॑ दे॒वश्च॑ सवि॒ता भगः॑। दिति॑श्च दाति॒ वार्य॑म् ॥१२॥

English Transliteration

tvam agne vīravad yaśo devaś ca savitā bhagaḥ | ditiś ca dāti vāryam ||

Pad Path

त्वम्। अ॒ग्ने॒। वी॒रऽव॑त्। यशः॑। दे॒वः। च॒। स॒वि॒ता। भगः॑। दितिः॑। च॒। दा॒ति॒। वार्य॑म् ॥१२॥

Rigveda » Mandal:7» Sukta:15» Mantra:12 | Ashtak:5» Adhyay:2» Varga:20» Mantra:2 | Mandal:7» Anuvak:1» Mantra:12


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (अग्ने) अग्नि के तुल्य तेजस्वि राजन् ! जैसे (देवः) दानशील वा प्रकाशमान (सविता) प्रेरणा करनेवाला वा सूर्य और (दितिः) दुःखनाशक नीति (च) भी (वार्यम्) स्वीकार के योग्य (वीरवत्) जिससे उत्तम वीर पुरुष हों (यशः) उस धन वा कीर्ति (च) और (भगः) ऐश्वर्य को (दाति) देती है, इसको (त्वम्) आप दीजिये ॥१२॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। जो राजा अच्छे प्रकार सम्प्रयुक्त अग्नि आदि के तुल्य प्रजाओं में उद्योग से और अच्छी नीति से ऐश्वर्य कराके दुःख को खण्डित करता है, वही यशस्वी होता है ॥१२॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे अग्ने राजन् ! यथा देवः सविता दितिश्च वार्यं वीरवद्यशो भगश्च दाति तदेतत्त्वं देहि ॥१२॥

Word-Meaning: - (त्वम्) (अग्ने) अग्निरिव राजन् (वीरवत्) प्रशस्ता वीरा विद्यन्ते यस्मिंस्तत् (यशः) धनं कीर्तिं च (देवः) दाता देदीप्यमानः (च) (सविता) प्रेरकः सूर्यो वा (भगः) धनैश्वर्यम् (दितिः) दुःखनाशिका नीतिः (च) (दाति) ददाति (वार्यम्) वरणीयम् ॥१२॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। यो राजा सुसम्प्रयुक्ताऽग्न्यादिवत्प्रजास्वैश्वर्यमुद्योगेन सुनीत्या च कारयित्वा दुःखं खण्डयति स एव यशस्वी भवति ॥१२॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. जो राजा चांगल्या प्रकारे संयुक्त केलेल्या अग्नीप्रमाणे प्रजेमध्ये उद्योगाद्वारे व चांगल्या नीतीद्वारे ऐश्वर्य वाढवून दुःख नष्ट करतो तोच यशस्वी होतो. ॥ १२ ॥