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इ॒मे नरो॑ वृत्र॒हत्ये॑षु॒ शूरा॒ विश्वा॒ अदे॑वीर॒भि स॑न्तु मा॒याः। ये मे॒ धियं॑ प॒नय॑न्त प्रश॒स्ताम् ॥१०॥

English Transliteration

ime naro vṛtrahatyeṣu śūrā viśvā adevīr abhi santu māyāḥ | ye me dhiyam panayanta praśastām ||

Pad Path

इ॒मे। नरः॑। वृ॒त्र॒ऽहत्ये॑षु। शूराः॑। विश्वाः॑। अदे॑वीः। अ॒भि। स॒न्तु॒। मा॒याः। ये। मे॒। धिय॑म्। प॒नय॑न्त। प्र॒ऽश॒स्ताम् ॥१०॥

Rigveda » Mandal:7» Sukta:1» Mantra:10 | Ashtak:5» Adhyay:1» Varga:24» Mantra:5 | Mandal:7» Anuvak:1» Mantra:10


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

राजा को कैसे मन्त्री करने चाहिये, इस विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे राजन् ! (ये) जो (इमे) वर्त्तमान (शूराः) शूरवीर (नरः) न्याययुक्त पुरुष (वृत्रहत्येषु) संग्रामों में (विश्वाः) समस्त (अदेवीः) अशुद्ध (मायाः) कपट छलयुक्त बुद्धियों को निवृत्त करके (मे) मेरी (प्रशस्ताम्) प्रशंसित (धियम्) उत्तम बुद्धि का (अभि, पनयन्त) सम्मुख स्तुति वा व्यवहार करते हैं, वे आपके कार्य्य करनेवाले (सन्तु) हों ॥१०॥
Connotation: - हे राजन् ! जो शत्रुओं के छलों से ठगे हुए न हों, संग्रामों में उत्साह को प्राप्त, शूरतायुक्त युद्ध करें, सब ओर से गुणों को ग्रहण कर दोषों को त्यागें, वे ही आपके मन्त्री हों ॥१०॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

राज्ञा कीदृशा अमात्याः कर्त्तव्या इत्याह ॥

Anvay:

हे राजन् ! य इमे शूरा नरो वृत्रहत्येषु विश्वा अदेवीर्माया निवार्य्य मे प्रशस्तां धियमभि पनयन्त ते तव कार्य्यकराः सन्तु ॥१०॥

Word-Meaning: - (इमे) वर्त्तमानाः (नरः) न्याययुक्ताः (वृत्रहत्येषु) सङ्ग्रामेषु (शूराः) (विश्वाः) समग्राः (अदेवीः) अदिव्या अशुद्धाः (अभि) आभिमुख्ये (सन्तु) भवन्तु (मायाः) कपटछलयुक्ताः प्रज्ञाः (ये) (मे) मम (धियम्) प्रज्ञाम् (पनयन्त) स्तुवन्ति व्यवहरन्ति वा (प्रशस्ताम्) उत्तमाम् ॥१०॥
Connotation: - हे राजन् ! ये शत्रूणां छलैर्वञ्चिता न स्युस्सङ्ग्रामेषूत्साहिताः शौर्योपेता युध्येयुः सर्वतो गुणान् गृहीत्वा दोषाँस्त्यजेयुस्त एव तवाऽमात्याः सन्तु ॥१०॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे राजा ! तुझे मंत्री शत्रूकडून फसविले गेलेले नसावेत. त्यांनी युद्धात उत्साहाने व शौर्याने युद्ध करावे. सगळीकडून गुण ग्रहण करून दोषांचा त्याग करणारे असावेत. ॥ १० ॥