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वि मे॒ कर्णा॑ पतयतो॒ वि चक्षु॒र्वी॒३॒॑दं ज्योति॒र्हृद॑य॒ आहि॑तं॒ यत्। वि मे॒ मन॑श्चरति दू॒रआ॑धीः॒ किं स्वि॑द्व॒क्ष्यामि॒ किमु॒ नू म॑निष्ये ॥६॥

English Transliteration

vi me karṇā patayato vi cakṣur vīdaṁ jyotir hṛdaya āhitaṁ yat | vi me manaś carati dūraādhīḥ kiṁ svid vakṣyāmi kim u nū maniṣye ||

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Pad Path

वि। मे॒। कर्णा॑। प॒त॒य॒तः॒। वि। चक्षुः॑। वि। इ॒दम्। ज्योतिः॑। हृद॑ये। आऽहि॑तम्। यत्। वि। मे॒। मनः॑। च॒र॒ति॒। दू॒रेऽआ॑धीः। किम्। स्वि॒त्। व॒क्ष्यामि॑। किम्। ऊँ॒ इति॑। नु। म॒नि॒ष्ये॒ ॥६॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:9» Mantra:6 | Ashtak:4» Adhyay:5» Varga:11» Mantra:6 | Mandal:6» Anuvak:1» Mantra:6


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब मनुष्य के शरीर में क्या-क्या जानने योग्य है, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे विद्वान् जनो ! (यत्) जो (मे) मेरे (कर्णा) श्रोत्र (वि) विशेष करके (पतयतः) स्वामी के सदृश आचरण करते हुए और जो मेरा (चक्षुः) देखने की चेष्टा करता है जिससे वह चक्षु (वि) विशेष करके (चरति) चलता है और जो (मे) मेरे (हृदये) हृदय में (इदम्) यह (आहितम्) स्थित (ज्योतिः) प्रकाशक (वि) विशेष करके चलाता है और जो मेरा (दूर आधीः) दूरस्थ पदार्थों का सब प्रकार से चिन्तक (मनः) अन्तःकरण (वि) विशेष करके चलता है, जिससे उसको मैं (किम्) क्या (स्वित्) भी (वक्ष्यामि) कहूँगा और (किम्) क्या (उ) और (नू) शीघ्र (मनिष्ये) विचार करूँगा यह विचारता हूँ, उस सब को आप लोग जनाइये ॥६॥
Connotation: - हे विद्वान् जनो ! मैं और जो मेरे साधन हैं, उस सब व्यवहार को मेरे लिये जनाइये ॥६॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ मनुष्यशरीरे किं किं विज्ञातव्यमित्याह ॥

Anvay:

हे विद्वांसो ! यद्यौ मे कर्णा वि पतयतो यन्मे चक्षुर्वि चरति यन्मे हृदय इदमाहितं ज्योतिर्वि चरति यन्मे दूरआधीर्मनो वि चरति येन तदहं किं स्विद्वक्ष्यामि किमु नू मनिष्य इति विचारयामि तत्सर्वं यूयं विज्ञापयत ॥६॥

Word-Meaning: - (वि) (मे) मम (कर्णा) कर्णौ (पतयतः) पतिरिवाऽऽचरतः (वि) (चक्षुः) चष्टे येन तच्चक्षुः (वि) (इदम्) (ज्योतिः) प्रकाशकम् (हृदये) (आहितम्) स्थितम् (यत्) (वि) (मे) मम (मनः) अन्तःकरणम् (चरति) गच्छति (दूरआधीः) दूरस्थानां पदार्थानां समन्ताच्चिन्तकम् (किम्) (स्वित्) अपि (वक्ष्यामि) (किम्) (उ) (नू) सद्यः। अत्र ऋचि तुनुघेति दीर्घः। (मनिष्ये) विचारं करिष्ये ॥६॥
Connotation: - हे विद्वांसो ! योऽहं यानि च मम साधनानि तत्सर्वं मां बोधयत ॥६॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे विद्वानांनो ! मी व माझी साधने (श्रोतृ, चक्षू वगैरे) त्या सर्वांच्या व्यवहाराचा मला बोध करून द्या. ॥ ६ ॥