Go To Mantra

रथे॒ तिष्ठ॑न्नयति वा॒जिनः॑ पु॒रो यत्र॑यत्र का॒मय॑ते सुषार॒थिः। अ॒भीशू॑नां महि॒मानं॑ पनायत॒ मनः॑ प॒श्चादनु॑ यच्छन्ति र॒श्मयः॑ ॥६॥

English Transliteration

rathe tiṣṭhan nayati vājinaḥ puro yatra-yatra kāmayate suṣārathiḥ | abhīśūnām mahimānam panāyata manaḥ paścād anu yacchanti raśmayaḥ ||

Pad Path

रथे॑। तिष्ठ॑न्। न॒य॒ति॒। वा॒जिनः॑। पु॒रः। यत्र॑ऽयत्र। का॒मय॑ते। सु॒ऽसा॒र॒थिः। अ॒भीशू॑नाम्। म॒हि॒मान॑म्। प॒ना॒य॒त॒। मनः॑। प॒श्चात्। अनु॑। य॒च्छ॒न्ति॒। र॒श्मयः॑ ॥६॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:75» Mantra:6 | Ashtak:5» Adhyay:1» Varga:20» Mantra:1 | Mandal:6» Anuvak:6» Mantra:6


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर वीरजन किसके तुल्य क्या करें, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे विद्वान् वीरपुरुषो ! जैसे (सुषारथिः) अच्छा सारथि (रथे) रथ पर (तिष्ठन्) स्थित होता हुआ (यत्रयत्र) जहाँ-जहाँ (पुरः) पहिले (कामयते) कामना करता है वहाँ-वहाँ (वाजिनः) वेगवाले अश्वों की (नयति) प्राप्ति कराता है, जैसे (रश्मयः) किरणें सूर्य के (पश्चात्) पीछे (अनु, यच्छन्ति) अनुकूल नियम से जाती हैं, वैसे वहाँ-वहाँ (अभीशूनाम्) बाहुओं की (महिमानम्) महिमा को (मनः) और चित्त को तुम (पनायत) व्यवहार में लाओ वा उनकी स्तुति करो ॥६॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। हे राजा आदि वीरपुरुषो ! तुम जितेन्द्रिय होकर अपने कार्य के पार रथ से अच्छे सारथी के समान जाओ तथा प्रधान के अनुकूल जानेवाले बड़े व्यवहार को करके सुन्दर शिक्षा को भृत्यों को पहुँचा कर कामसिद्धि करो ॥६॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्वीराः किंवत् किं कुर्य्युरित्याह ॥

Anvay:

हे विद्वांसो वीरपुरुषा ! यथा सुषारथी रथे तिष्ठन् यत्रयत्र पुरः कामयते तत्र तत्र वाजिनो नयति यथा रश्मयः सूर्यस्य पश्चादनु यच्छन्ति तथा तत्रतत्राऽभीशूनां महिमानं मनश्च यूयं पनायत ॥६॥

Word-Meaning: - (रथे) रमणीये याने (तिष्ठन्) (नयति) प्रापयति (वाजिनः) वेगवतोऽश्वान् (पुरः) पुरस्तात् (यत्रयत्र) (कामयते) (सुषारथिः) शोभनश्चासौ सारथिश्च (अभीशूनाम्) बाहूनाम् (महिमानम्) (पनायत) व्यवहरत स्तुत वा (मनः) चित्तम् (पश्चात्) (अनु) (यच्छन्ति) निगृह्णन्ति (रश्मयः) किरणाः ॥६॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। हे राजादयो वीरपुरुषा ! यूयं जितेन्द्रिया भूत्वा स्वकार्य्यपारं रथेन सुषारथिरिव गच्छत प्रधानमनु गच्छन्तं महान्तं व्यवहारं कृत्वा स्वसुशिक्षां भृत्यान् नीत्वा कामसिद्धिं कुरुत ॥६॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. हे राजा व वीर पुरुषांनो ! जसा उत्तम सारथी रथाद्वारे इच्छित स्थानी जातो तसे तुम्ही जितेंद्रिय बनून आपले कार्य पार पाडा. प्रमुख माणसाच्या अनुकूल व्यवहार करून सेवकापर्यंत सुंदर शिक्षण देण्याचे कार्य करा. ॥ ६ ॥