Go To Mantra

धन्व॑ना॒ गा धन्व॑ना॒जिं ज॑येम॒ धन्व॑ना ती॒व्राः स॒मदो॑ जयेम। धनुः॒ शत्रो॑रपका॒मं कृ॑णोति॒ धन्व॑ना॒ सर्वाः॑ प्र॒दिशो॑ जयेम ॥२॥

English Transliteration

dhanvanā gā dhanvanājiṁ jayema dhanvanā tīvrāḥ samado jayema | dhanuḥ śatror apakāmaṁ kṛṇoti dhanvanā sarvāḥ pradiśo jayema ||

Pad Path

धन्व॑ना। गाः। धन्व॑ना। आ॒जिम्। ज॒ये॒म॒। धन्व॑ना। ती॒व्राः। स॒ऽमदः॑। ज॒ये॒म॒। धनुः॑। शत्रोः॑। अ॒प॒ऽका॒मम्। कृ॒णो॒ति॒। धन्व॑ना। सर्वाः॑। प्र॒ऽदिशः॑। ज॒ये॒म॒ ॥२॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:75» Mantra:2 | Ashtak:5» Adhyay:1» Varga:19» Mantra:2 | Mandal:6» Anuvak:6» Mantra:2


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर वीर किससे क्या करें, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे वीरपुरुषो ! जो (धनुः) धनुष् (शत्रोः) शत्रु के (अपकामम्) काम का विनाश (कृणोति) करात है जिस (धन्वना) धनुष् से जैसे हम (गाः) भूमियों को (धन्वना) धनुष् से (आजिम्) सङ्ग्राम को (जयेम) जीतें (धन्वना) धनुष् से (तीव्राः) कठिन तेज (समदः) सङ्ग्रामों को (जयेम) जीतें और (धन्वना) धनुष् से (सर्वाः) सब (प्रदिशः) दिशा प्रदिशाओं में स्थित जो शत्रुजन उनको (जयेम) जीतें, वैसे उससे तुम भी उनको जीतो ॥२॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। जो मनुष्य धनुर्वेद को पढ़ के पूरा शस्त्र और अस्त्र बनाने का अभ्यास कर प्रयोग करने को जानते हैं, वे ही सर्वत्र विजयी होते हैं ॥२॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्वीराः केन किं कुर्य्युरित्याह ॥

Anvay:

हे वीरपुरुषा ! यद्धनुः शत्रोरपकामं कृणोति येन धन्वना यथा वयं गा धन्वनाजिं जयेम धन्वना तीव्राः समदो जयेम धन्वना सर्वाः प्रदिशो जयेम तथा तेन यूयमप्येताञ्जयत ॥२॥

Word-Meaning: - (धन्वना) धनुराद्येन शस्त्रास्त्रेण (गाः) भूमीः (धन्वना) (आजिम्) सङ्ग्रामम्। आजिरिति सङ्ग्रामनाम। (निघं०२.१७) (जयेम) (धन्वना) (तीव्राः) कठिनास्तेजस्विनः (समदः) सङ्ग्रामान् (जयेम) (धनुः) शस्त्रास्त्रम् (शत्रोः) (अपकामम्) कामविनाशनम् (कृणोति) करोति (धन्वना) (सर्वाः) (प्रदिशः) दिक्प्रदिक्स्थाञ्छत्रून् (जयेम) ॥२॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। ये मनुष्या धनुर्वेदं पठित्वा पूर्णं शस्त्रास्त्रनिर्माणाभ्यासं कृत्वा प्रयोक्तुं विजानन्ति त एव सर्वत्र विजयिनो भवन्ति ॥२॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. जी माणसे धनुर्वेद शिकून पूर्ण शस्त्रे व अस्त्रे तयार करण्याचा अभ्यास करून प्रयोग करणे जाणतात तीच सर्वत्र विजयी होतात. ॥ २ ॥