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इन्द्रा॑सोमा वा॒सय॑थ उ॒षास॒मुत्सूर्यं॑ नयथो॒ ज्योति॑षा स॒ह। उप॒ द्यां स्क॒म्भथुः॒ स्कम्भ॑ने॒नाप्र॑थतं पृथि॒वीं मा॒तरं॒ वि ॥२॥

English Transliteration

indrāsomā vāsayatha uṣāsam ut sūryaṁ nayatho jyotiṣā saha | upa dyāṁ skambhathuḥ skambhanenāprathatam pṛthivīm mātaraṁ vi ||

Pad Path

इन्द्रा॑सोमा। वा॒सय॑थः। उ॒षस॑म्। उत्। सूर्य॑म्। न॒य॒थः॒। ज्योति॑षा। स॒ह। उप॑। द्याम्। स्क॒म्भथुः॑। स्कम्भ॑नेन। अप्र॑थतम्। पृ॒थि॒वीम्। मा॒तर॑म्। वि ॥२॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:72» Mantra:2 | Ashtak:5» Adhyay:1» Varga:16» Mantra:2 | Mandal:6» Anuvak:6» Mantra:2


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर वे किसके तुल्य क्या करते हैं, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे अध्यापक और उपदेशको ! जैसे (इन्द्रासोमा) वायु और बिजुली (उषासम्) प्रभातकाल को (उत्) और (सूर्यम्) सूर्य्यमण्डल को वसाते हैं, वैसे विद्या और न्याय से प्रजाजनों को तुम (वासयथः) वसाओ, जैसे दोनों (ज्योतिषा) ज्योति के (सह) साथ (द्याम्) प्रकाश को रोकें, वैसे अच्छे व्यवहार को (उप, स्कम्भथुः) व्यवहार करनेवाले के समीप रोको, जैसे यह दोनों (स्कम्भनेन) रोकने से (मातरम्) माता के समान वर्त्तमान (पृथिवीम्) पृथिवी को विस्तारते हैं, वैसे ही राज्य को (वि, अप्रथतम्) विस्तारो और सुख को (नयथः) प्राप्त करो ॥२॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। हे अध्यापक और उपदेशको ! जैसे बिजुली और पवन सूर्य्य आदि लोकों का निवास कराते हैं, वैसे ही प्रजाजनों को अच्छे उपदेश से सुख में बसाओ ॥२॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तौ किंवत् किं कुरुत इत्याह ॥

Anvay:

हे अध्यापकोपदेशकौ ! यथेन्द्रासोमोषासमुत् सूर्यं वासयतस्तथा विद्यान्यायाभ्यां प्रजा युवां वासयथः। यथेमौ ज्योतिषा सह द्यां स्कम्भतस्तथा सद्व्यवहारमुपस्कम्भथुः। यथेमौ स्कम्भनेन मातरमिव वर्त्तमाना पृथिवीं प्रथेते तथैव राज्यं व्यप्रथतं सुखं नयथः ॥२॥

Word-Meaning: - (इन्द्रासोमा) वायुविद्युताविव (वासयथः) (उषासम्) प्रभातम् (उत्) अपि (सूर्यम्) (नयथः) (ज्योतिषा) प्रकाशेन (सह) (उप) (द्याम्) प्रकाशम् (स्कम्भथुः) स्कम्भेतम् (स्कम्भनेन) (अप्रथतम्) प्रथेयाथाम् (पृथिवीम्) भूमिम् (मातरम्) मातृवद्वर्त्तमानाम् (वि) ॥२॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। हे अध्यापकोपदेशका यथा विद्युत्पवनौ सूर्यादींल्लोकान्निवासयतस्तथैव प्रजाः सूपदेशेन सुखे वासयत ॥२॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. हे अध्यापक व उपदेशकांनो! जसे विद्युत व वायू सूर्य इत्यादी गोलांना वसवितात तसेच प्रजेला चांगला उपदेश करून सुखात निवास करावयास लावा. ॥ २ ॥