ऊर्जं॑ नो॒ द्यौश्च॑ पृथि॒वी च॑ पिन्वतां पि॒ता मा॒ता वि॑श्व॒विदा॑ सु॒दंस॑सा। सं॒र॒रा॒णे रोद॑सी वि॒श्वशं॑भुवा स॒निं वाजं॑ र॒यिम॒स्मे समि॑न्वताम् ॥६॥
ūrjaṁ no dyauś ca pṛthivī ca pinvatām pitā mātā viśvavidā sudaṁsasā | saṁrarāṇe rodasī viśvaśambhuvā saniṁ vājaṁ rayim asme sam invatām ||
ऊर्ज॑म्। नः॒। द्यौः। च॒। पृ॒थि॒वी। च॒। पि॒न्व॒ता॒म्। पि॒ता। मा॒ता। वि॒श्व॒ऽविदा॑। सु॒ऽदंस॑सा। सं॒र॒रा॒णे इति॑ स॒म्ऽर॒रा॒णे। रोद॑सी॒ इति॑। वि॒श्वऽश॑म्भुवा। स॒निम्। वाज॑म्। र॒यिम्। अ॒स्मे इति॑। सम्। इ॒न्व॒ता॒म् ॥६॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
फिर वे कैसे किसके तुल्य और क्या करते हैं, इस विषय को कहते हैं ॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
पुनस्ते कीदृश्यौ किंवत् किं कुरुत इत्याह ॥
हे मनुष्या ! ये विश्वविदा सुदंससा संरराणे विश्वशंभुवा रोदसी अस्मे सनिं वाजं रयिं च समिन्वतां पितेव द्यौश्च मातेव पृथिवी च न ऊर्जं पिन्वतां ते यथावद्विजानन्तु ॥६॥
MATA SAVITA JOSHI
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